बीते छह जून को शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजे आने वाले हैं. कुछ देर बाद केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दार इस तीन दिवसीय बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में बताएंगे. विशेषज्ञ इस बार भी नीतिगत दरों के स्थिर रहने की उम्मीद जता रहे हैं. बता दें इससे पहले अप्रैल महीने में हुई एमपीसी बैठक में भी रिजर्व बैंक ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया था.
इस वित्त वर्ष की दूसरी बैठक
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की इस वित्त वर्ष 24 में ये दूसरी बैठक है. मुंबई में छह जून को ये शुरू हुई थी औऱ आज इसके नतीजों का ऐलान किया जाना है. सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर इसके बारे में जानकारी साझा करेंगे. अगर इस बार भी रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला लिया जाता है, तो फिर ये 6.5 फीसदी ही रहेगा. बता दें मई 2022 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुंची महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक ने एक के बाद एक लगातार रेपो रेट में इजाफा किया था.
9 महीने में इतना बढ़ा है रेपो रेट
RBI मई 2022 से फरवरी 2023 तक यानी 9 महीने में अब तक रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर चुकी है. वर्तमान में रेपो रेट 6.5 फीसदी है. आर्थिक जानकारों की मानें तो आरबीआई के गर्वनर द्वारा आज भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करना का फैसला लिया जा सकता है. इसका बड़ा कारण ये है कि महंगाई दर अब रिजर्व बैंक के तय दायरे में है.
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जरूरत के हिसाब से फैसला संभव
भले ही अप्रैल 2023 में हुई MPC की बैठक में रेपो रेट नहीं बढ़ाया गया था, लेकिन गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई के खिलाफ जंग खत्म नहीं हुई है, बल्कि ये लगातार जारी है. उन्होंने कहा था कि रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से अगला कदम उठाएंगे.
देश में महंगाई के आंकड़े
गौरतलब है कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट के चलते अप्रैल 2023 में रिटेल महंगाई दर (Retail Inflation) घटकर 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर आ गई है. यह आरबीआई के टॉलरेंस बैंड के अंदर है. अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई है. वहीं भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में घटकर -0.92 फीसदी रह गई, जो इस साल मार्च में 1.34 फीसदी थी. थोक मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.17 फीसदी पर आ गई, जो मार्च में 2.32 फीसदी थी.