राजस्थान: जब कोर्ट में हुई भैंस की पेशी, वकील भी हैरान! जानें पूरा मामला

भैंस, हाजिर हो… नहीं नहीं, हम यहां बॉलीवुड फिल्म ‘मिस टनकपुर हाजिर हो’ की बात नहीं कर रहे बल्कि हकीकत में कोर्ट में हाजिर हुई भैंस की बात कर रहे हैं. जी हां, राजस्थान के जयपुर में ऐसा ही अनोखा मामला सामने आया है. जहां चोमू कोर्ट में भैंस की बाकायदा पेशी हुई, जिसे देख वकील भी हैरान हो गए. हैरान हो भी क्यों ना, क्योंकि अमूमन कोर्ट परिसर में वकील, पुलिस और परिवादी आते-जाते हों वहां एक पशु को इस तरह कोर्ट में पेश होना पड़ेगा, शायद किसी ने सोचा ना होगा. अब भैंस को कोर्ट में क्यों लाया गया और क्या था पूरा मामला आइए जानते है?

दरअसल, घटना आज से 26 जुलाई 2012 की है, जब बिशनपुरा नींदड़  बालाजी निवासी 48 वर्षीय चरण सिंह सेरावत की 3 बेशकीमती भैंसे चोरी हो गई थी. लाखों की कीमत की भैंसो के चोरी होने के बाद पीड़ित ने हड़माड़ा पुलिस थाने में पशु चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. 

पुलिस ने मामले में जांच पड़ताल करते हुए कुछ महीने बाद भरतपुर के नगर के रहने वाले आरोपी अरशद मेव को गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद आरोपी के कब्जे से 3 में से 2 भैंस बरामद हुई और 1 भैंस की मौत हो गई. वहीं, बरामद हुई भैंस को पुलिस ने मालिक को सौंप दिया, लेकिन भैंस वो ही है या फिर कोई दूसरी इसके लिए सरकारी वकील ने भैंस की शिनाख्त के लिए कोर्ट परिसर में भैंस को लाने की गुहार लगाई. 

कोर्ट लाई गई भैंस

पिछले कई सालों से ये केस चल रहा है लेकिन बीते दिन (10 अगस्त) इसमें अहम मोड़ आया, जब कोर्ट में शिनाख्त के लिए भैंस को लाया गया. खुद कोर्ट ने भैंस को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे. जिस पर भैंस मालिक चरण सिंह भैंस को गाड़ी में लेकर चोमू महानगर मजिस्ट्रेट क्रम संख्या- 10 पहुंचे. 

भैंस को कोर्ट परिसर में देख क्या वकील और क्या लोग देखते ही रह गए. कोर्ट परिसर में कौतूहल के बीच गवाह सुभाष चौधरी भी कोर्ट आ पहुंचा. इसके बाद कोर्ट परिसर में गवाह ने भैंस की पहचान की फिर मालिक चरण सिंह को वापस अस्थाई तौर पर भैंस सुपुर्द कर दी गई.

ऐसा नहीं है कि भैंस की पेशी के बाद मामला खत्म हो गया हो. प्रकरण में अब तक सिर्फ तत्कालीन नगर थानाधिकारी हीरालाल सैनी, परिवादी चरण सिंह सहित 5 लोगों के बयान हुए हैं, जबकि मामले में कुल 21 गवाह है. ऐसे में 16 गवाहों के बयान होना बाकी है. इसके लिए अगले महीने 31 सितंबर को बचे गवाहों को कोर्ट में आना पड़ेगा. 

कानूनी प्रक्रिया से गुजरने वाली भैंस का न सत्यापन हुआ है और ना ही मेडिकल. इसके लिए कानूनी तौर पर भैंस परिवादी को अभी सुपुर्द नहीं की गई है, बल्कि अस्थाई तौर पर परिवादी के कहे अनुसार सौंपी गई है.

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