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कोलकाताएक महीने पहले
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पश्चिम बंगाल की मंत्री बीरबाहा हांसदा टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी के काफिले के साथ आ रही थीं।
पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में शुक्रवार देर रात पश्चिम बंगाल की मंत्री बीरबाहा हांसदा के वाहन में तोड़फोड़ की गई। हांसदा TMC नेता अभिषेक बनर्जी के काफिले के साथ जा रही थीं।
यह घटना सालबोनी में हुई जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज एक पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने वाली हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर भेजा गया है।
गाड़ी पर पथराव के बाद की दो तस्वीरें…

यह मंत्री बीरबाहा हांसदा की गाड़ी है जिस पर पत्थर फेंकने के बाद उसका आगे का शीशा टूट गया।

गाड़ी पर पत्थर फेंकने के बाद एक व्यक्ति हाथ में ईंटा दिखाता हुआ, जिसे गाड़ी पर फेंका गया था।
प्रचार अभियान से लौटते वक्त हुआ हमला
अभिषेक बनर्जी एक प्रचार अभियान के चलते झारग्राम के बिनपुर और गोपीबल्लवपुर में एक रोड शो कर रहे थे। रैली के बाद वह सालबोनी से होकर गुजर रहे थे, तभी कुर्मी समुदाय के सदस्य सड़क के दोनों ओर जमा हो गए, जो एसटी दर्जे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
जैसे ही अभिषेक की कार आगे बढ़ी, प्रदर्शनकारियों ने काफिले पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। अभिषेक की गाड़ी तो निकल गई मगर काफिले में शामिल हांसदा का वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। अधिकारियों ने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर भेजा गया है।
अभिषेक ने हमले के पीछे भाजपा का हाथ बताया
अभिषेक बनर्जी ने हमले के पीछे भाजपा का हाथ बताया है। उन्होंने कहा, “मैं लोकतांत्रिक विरोध का समर्थन करता हूं। अगर कोई मेरे पास आना और बोलना चाहता है, तो वे ऐसा करने के लिए हमेशा स्वतंत्र हैं, लेकिन यह किस तरह का विरोध है कि आप पत्थर फेंक रहे हैं, लोगों को पीट रहे हैं और वाहनों में तोड़फोड़ कर रहे हैं?”
देर रात पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि TMC के अभियान को बदनाम करने के लिए इस हमले के पीछे कुर्मी समुदाय के सदस्यों के भेष में भाजपा के कुछ बदमाश हैं।”

अप्रैल में कुर्मी समुदाय ने दक्षिण दिनाजपुर जिले में एसटी का दर्जा देने की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक को ब्लॉक किया।
कुर्मी समुदाय के नेताओं को 48 घंटे का अल्टीमेटम
अभिषेक ने कुर्मी समुदाय के नेताओं से हमले को लेकर 48 घंटे के भीतर बयान देने की भी मांग की। उन्होंने कहा, “मैं कुर्मी समुदाय के नेताओं को 48 घंटे का अल्टीमेटम दे रहा हूं।
उन्हें बताना चाहिए कि क्या वे इस घटना के पीछे थे। यदि वे बयान नहीं देते हैं, तो यह साबित हो जाएगा कि वे इसके पीछे थे, और फिर कानून कार्रवाई करेगा। बनर्जी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह के उकसावे में नहीं आने को कहा।
पिछले हफ्ते भाजपा नेता के घर हुई थी तोड़फोड़
पिछले हफ्ते, पश्चिम मेदिनीपुर के खड़गपुर में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के घर में कुर्मी संगठन के सदस्यों द्वारा समुदाय के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई थी। घोष ने कहा, “टीएमसी इस आंदोलन को हवा दे रही है। जब मेरे घर पर हमला हुआ था तो उन्होंने इस पर कार्रवाई नहीं की। अब वे इसका शिकार हो रहे हैं।

कुर्मी नेता अजित प्रसाद महतो कहते हैं कि सीएम ने समाज की अनदेखी की है। इस बार हमारी मांगें पूरी नहीं हुई तो हम पंचायत चुनाव का बायकॉट करेंगे।
कुर्मी समुदाय की क्या मांग है
कुर्मी समाज के नेताओं की दलील है ब्रिटिशकाल में समाज वर्ष 1931 की एसटी की सूची में शामिल था। वर्ष 1950 तक ये दर्जा जारी रहा। उसके बाद आई नई सूची में उन्हें एसटी से निकाल कर अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की सूची में डाल दिया गया। राज्य में विधानसभा की 30 और लोकसभा की चार सीटों पर इस समाज के वोट निर्णायक हैं।
बंगाल में 11 जनजातियां भी मांग रहीं एसटी का दर्जा
राज्य में दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले गोरखा समुदाय की 11 जनजातियां भी लंबे समय से एसटी का दर्जा दिए की मांग कर रही हैं। इनमें गुरुंग, मंगर, राई, सुनवार, मुखिया, जोगी, थामी, याखा, बाहुन, छेत्री और नेवार शामिल हैं। आजादी के बाद गोरखा समुदाय की 18 में से सात जनजातियों को एसटी का दर्जा तो मिल गया, लेकिन 11 को अब तक इसका इंतजार है।
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मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने के ऐलान से भड़की हिंसा थम नहीं रही है। इस बीच, पश्चिम बंगाल में कुर्मी समाज खुद को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग के समर्थन में आंदोलन कर रहा है। इस साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले राज्य के झारखंड से सटे इलाको में कुर्मी समाज का आंदोलन ममता बनर्जी सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…