मौसम और राजनीति:बारिश के बिना उठती उमस की तरह, राजनीतिक आरोपों की गर्मी भी कायम
  • Hindi News
  • Opinion
  • Bhaskar Opinion | No Confidence Motion Vs Manipur; Rahul Gandhi, PM Modi | Smriti Irani

भास्कर ओपिनियनमौसम और राजनीति:बारिश के बिना उठती उमस की तरह, राजनीतिक आरोपों की गर्मी भी कायम

4 दिन पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

  • कॉपी लिंक

जिस तरह लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप मंद पड़ गए हैं, उसी तरह मानसून की सक्रियता भी कुछ दिनों के लिए मंद पड़ गई है। बारिश की जगह उमस ने ले ली है। जैसे अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस की चिपचिपी गर्मी अब तक तारी हो।

मणिपुर को ज़रूर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा है, क्योंकि लोकसभा की बहस से वहाँ की पीड़ा, वहाँ के दुख से क्या लेना- देना? फ़र्क़ ज़रूर पड़ सकता था, लेकिन बहस की सार्थकता कहीं खो गई थी। पूरी बहस के दौरान दोनों पक्ष केवल एक-दूसरे को नीचा दिखाने में ही लगे रहे।

मणिपुर की आग बुझाने के लिए न तो किसी पक्ष ने कोई सार्थक सुझाव दिया और न ही किसी भी पक्ष की तरफ़ से समाधान निकालने या सुझाने का प्रयास किया गया।

कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से चल रही हिंसा में अब तक 160 लोग मारे गए हैं।

कुकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से चल रही हिंसा में अब तक 160 लोग मारे गए हैं।

हालाँकि, वहाँ अब किसी का ज़ोर नहीं चल रहा है। क्या सेना, क्या अर्धसैनिक बल, कोई किसी की नहीं सुन रहा है। दो क़ौमों के बीच ऐसा फ़साद आज़ादी का वक्त छोड़ दिया जाए तो उसके बाद बिरला ही देखा-सुना है।

कुकी और मैतेई की आपसी दुश्मनी इतनी बढ़ गई है कि महिला, पुरुष कोई भी एक-दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहा रहे हैं। फ़िलहाल तो इस समस्या का कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा है क्योंकि बातचीत जिसे हर समस्या के सामाधान के रूप में देखा जाता रहा है, फ़िलहाल तो उसकी बात तक करने की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती।

अभी तो वहाँ लोगों के बीच फैली नफ़रत में किसी भी तरह की कमी नहीं आ पाई है। लोग बंकरों में बैठकर एक-दूसरे के दुश्मन को गोली मारने पर उतारू हैं।

CBI ने मणिपुर हिंसा से जुड़े 9 और केसले अपने हाथ में लेने की तैयारी कर ली है। इसके बाद CBI के पास मामलों की संख्या 17 हो जाएगी।

CBI ने मणिपुर हिंसा से जुड़े 9 और केसले अपने हाथ में लेने की तैयारी कर ली है। इसके बाद CBI के पास मामलों की संख्या 17 हो जाएगी।

सेना या अर्ध सैनिक बल इन्हें रोकने की कोशिश करते हैं तो ये उनसे भी भिड़ने में देर नहीं लगाते। देखते ही देखते फिर कभी महिलाओं की टोली दंगाइयों को बचाने के लिए सामने आ जाती है, या अचानक गलियों, घरों से निकलकर भीड़ सैन्य बलों का रास्ता रोक देती है।

सेना और अन्य सैन्य बलों की अपनी मर्यादा है। भीड़ पर सीधे गोली चलाने की उन्हें इजाज़त भी नहीं है इसलिए अब लगता है, इस समस्या का निदान समय ही कर सकता है। दूसरा कोई रास्ता फ़िलहाल तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है।

हालाँकि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका मनुष्य निदान नहीं कर सकता, लेकिन कोई सिरा तो नज़र आना चाहिए! कोई गुंजाइश तो दिखाई देनी चाहिए!

Previous articleचांद के बाद अब सूरज की स्टडी करेगा इसरो:अंतरिक्ष में तैनात करेगा आदित्य L-1 ऑब्जर्वेटरी, जल्द होगी लॉन्चिंग
Next articleMS Dhoni Is Favourite Cricketer Of THIS BJP Union Minister

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here