जालंधर में AAP की जीत के मायने:मुफ्त बिजली का दांव चला, मूसेवाला फैक्टर बेअसर, 2024 में विरोधियों के लिए चुनौती बनेंगे

जालंधरएक महीने पहले

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AAP जालंधर लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत को पंजाब CM भगवंत मान के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में पेश करेगी। - Dainik Bhaskar

AAP जालंधर लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत को पंजाब CM भगवंत मान के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में पेश करेगी।

आम आदमी पार्टी (AAP) की फिर लोकसभा में एंट्री हो गई है। यह एंट्री कांग्रेस का गढ़ कही जाती पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट के रास्ते हुई। इस सीट पर हुए उपचुनाव में शनिवार को AAP के उम्मीदवार सुशील रिंकू ने कांग्रेस कैंडिडेट कर्मजीत कौर चौधरी को 58,691 वोटों से हरा दिया। संगरूर सीट हारने के बाद AAP के लिए यह उपचुनाव इमेज बचाने से कम नहीं था। दोआबा के दलित लैंड पर जालंधर में AAP की जीत में सबसे बड़ा रोल हर महीने दी जाने वाली मुफ्त बिजली का रहा। यहां संगरूर उपचुनाव के उल्ट पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या का फैक्टर बेअसर रहा। AAP की ये जीत अब 11 महीने बाद यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती बनेगी।

जालंधर सीट से आम आदमी पार्टी के सांसद चुने गए सुशील रिंकू।

जालंधर सीट से आम आदमी पार्टी के सांसद चुने गए सुशील रिंकू।

जालंधर सीट पर AAP की जीत की वजह सिलसिलेवार पढ़िए…

1. मुफ्त बिजली का सबसे बड़ा फायदा
पंजाब में AAP पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्डतोड़ जीत के साथ सरकार बनाने के बाद हर घर को प्रति महीने 300 यूनिट बिजली फ्री दे रही है। जालंधर दलित बाहुल्य आबादी वाला इलाका है। सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा इसी वर्ग को हुआ। खुद सरकार ने दावा किया था कि पंजाब के 75 लाख में से 61 लाख घरों के बिजली बिल जीरो हो गए।

2. पंजाब में पार्टी की सरकार
राज्य में AAP की सरकार है। जालंधर के लोग जानते थे कि उन्हें सिर्फ 11 महीने के लिए सांसद चुनना है। उसके बाद फिर चुनाव होंगे। किसी भी दूसरी पार्टी को जिताने से उनका फायदा नहीं होगा इसलिए उन्होंने AAP सांसद चुना। पंजाब में AAP सरकार का 4 साल का कार्यकाल बाकी है।

ऐसे में सांसद से फायदा हो न हो, राज्य सरकार से फायदे मिलते रहेंगे। अरविंद केजरीवाल ने तो प्रचार के दौरान कह भी दिया था कि अगर किसी दूसरे दल को जिताया तो वह राज्य सरकार के साथ लड़ाई में ही उलझा रहेगा। यह बात भी अहम है कि सुशील रिंकू को कांग्रेस से लाकर टिकट दी गई। उनका यह पहला लोकसभा चुनाव था, ऐसे में जीत को सरकार के काम पर मुहर माना जाएगा।

AAP कैंडिडेट सुशील रिंकू को लेकर चुनाव प्रचार करते अरविंद केजरीवाल और CM भगवंत मान।

AAP कैंडिडेट सुशील रिंकू को लेकर चुनाव प्रचार करते अरविंद केजरीवाल और CM भगवंत मान।

3. AAP ने एकजुट होकर प्रचार किया
जालंधर में AAP के तमाम नेताओं ने एकजुट होकर प्रचार किया। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और CM भगवंत मान ने खुद कमान संभाली। पूरी कैबिनेट प्रचार में डटी रही। ऐसे में बूथ लेवल वर्कर तक अच्छा मैसेज गया। सबने साथ मिलकर प्रचार किया जिसका इनाम जीत के तौर पर मिला।

4. मूसेवाला फैक्टर नहीं चल पाया
संगरूर सीट पर उपचुनाव में AAP की हार की वजह किसी भी दूसरे मुद्दे से ज्यादा पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का कत्ल रहा। यूथ की नाराजगी उसे भारी पड़ी। मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने जालंधर में भी इंसाफ यात्रा निकालकर AAP को वोट न देने की अपील की थी। संगरूर जाट बाहुल्य क्षेत्र है जबकि जालंधर में 48% शहरी एरिया है। इसी वजह से मूसेवाला फैक्टर यहां बेअसर रहा।

पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला और उनके पिता बलकौर सिंह। मूसेवाला की पिछले साल 29 मई को गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद हुए संगरूर उपचुनाव में AAP हार गई।

पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला और उनके पिता बलकौर सिंह। मूसेवाला की पिछले साल 29 मई को गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद हुए संगरूर उपचुनाव में AAP हार गई।

5. सबसे मजबूत कांग्रेस लेकिन एकजुटता नहीं
जालंधर में AAP की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही। 1999 के बाद 2019 के बीच हुए 5 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां से लगातार जीती। इस बार भी सबका आकलन यही था लेकिन कांग्रेस गढ़ बचाने के लिए एकजुट नहीं हो सकी।

नवजोत सिद्धू, पंजाब कांग्रेस चीफ अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पूर्व CM चरणजीत चन्नी अलग-अलग प्रचार करते रहे। दिल्ली से कांग्रेस का कोई बड़ा नेता वोटरों को विश्वास दिलाने नहीं आया। अरविंद केजरीवाल ने इसे भी मुद्दा बनाया।

इस जीत के बाद AAP का आगे क्या फायदा?

पंजाब की सरकार पर भरोसा: कांग्रेस, BJP और अकाली दल लगातार कह रहे थे कि राज्य में लॉ एंड ऑर्डर खराब है। AAP को सरकार चलानी नहीं आ रही। 14 महीने पहले 117 में से 92 सीट जिताने वाले पंजाबियों का इनसे मोहभंग हो चुका।

अब उपचुनाव के नतीजे के बाद AAP इन तमाम आरोपों का जवाब देगी। AAP ये बात भुनाएगी कि विरोधी झूठ बोल रहे हैं। पंजाबियों का समर्थन अभी भी उनके साथ हैं।

सरकारी स्कीमों पर पंजाबियों को यकीन: इस जीत से AAP अब ये बात खुलकर कहेगी कि सरकार की एंटी करप्शन ड्राइव, मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल ऑफ एमिनेंस जैसी स्कीमें लोगों को पसंद आ रही हैं। जनता को सरकार के कामों पर यकीन है। इसके अलावा मियाद पूरी कर चुके 9 टोल प्लाजा को एक्सटेंशन न देकर बंद करने का फैसला भी लोगों को पसंद आ रहा है। CM भगवंत मान इस बहाने विरोधियों पर निशाना साधते रहे हैं कि उन्होंने इन्हें बंद नहीं किया।

जालंधर उपचुनाव में जीत के बाद CM भगवंत मान से गले मिलते अरविंद केजरीवाल।

जालंधर उपचुनाव में जीत के बाद CM भगवंत मान से गले मिलते अरविंद केजरीवाल।

विरोधियों के लिए 2024 आसान नहीं: जालंधर जीत से साफ हो गया कि 2024 में पंजाब की 13 लोकसभा सीटें जीतना विरोधियों के लिए आसान नहीं होगा। AAP उनके लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। कांग्रेस जहां अपना गढ़ गवां बैठी वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ जैसे तमाम कांग्रेसी दिग्गजों को जोड़कर भी BJP कोई कमाल नहीं कर पाई।

भाजपा उपचुनाव में चौथे स्थान पर रही। दलित वोटरों के गढ़ में BSP से गठजोड़ के बावजूद अकाली दल तीसरे स्थान पर चला गया। साफ है कि 11 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में इन तीनों ही पार्टियों के नेताओं को पंजाब जीतने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी।

डेरा सचखंड बल्लां को 25 करोड़ का चेक देते CM भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल।

डेरा सचखंड बल्लां को 25 करोड़ का चेक देते CM भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल।

कांग्रेस का डेरा बल्लां से जुड़ा चेक विवाद फेल
कांग्रेस ने उपचुनाव में प्रचार किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उसकी सरकार ने रविदासिया समाज के सबसे बड़े धर्मस्थल डेरा सचखंड बल्लां को 25 करोड़ रुपए का चेक दिया था। यह रकम गुरु रविदास बाणी रिसर्च सेंटर के लिए दी गई।

AAP ने सरकार बनने के बाद उसे रोक दिया और फिर नए सिरे से चेक दिया। इसके उलट AAP कहती रही कि कांग्रेस सरकार ने बिना पैसे के ही चेक जारी कर दिया। उसकी सरकार ने पहले रकम जालंधर DC के अकाउंट में ट्रांसफर की और फिर चेक दिया। नतीजों से साफ हो गया कि लोगों ने कांग्रेस के दावे पर यकीन नहीं किया।

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