चंडीगढ़2 दिन पहले
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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जिल वीडियो का जिक्र किया गया है वह हांसी का बताया जा रहा है।
नूंह में हिंसा के बाद हरियाणा में मुसलमानों के बहिष्कार और अलगाव के आह्वान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दायर की गई है। शाहीन अब्दुल्ला की ओर से दायर इस याचिका में नूंह हिंसा के बाद हरियाणा में दी जा रही हेट स्पीच का मुद्दा उठाया गया है। 2 अगस्त को हिसार जिले के हांसी में हिंदू संगठनों की ओर से निकाली गई एक यात्रा से जुड़े वीडियो का हवाला भी इस याचिका में दिया गया है।
इस वीडियो में हिंदू समाज के कुछ लोग हांसी के बाजार में पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में ही दुकानदारों को चेतावनी दे रहे हैं कि यदि उन्होंने अपने यहां किसी बाहरी मुसलमान को नौकरी पर रखा है तो उसे दो दिन में निकाल दिया जाए। ऐसा न करने पर दुकानों के बाहर पोस्टर लगाते हुए दुकानदारों का बहिष्कार किए जाने की बात भी ये लोग कहते हुए नजर आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ऐसे लोगों की हेट स्पीच पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। इस याचिका के बारे में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को उस समय बताया जब उनकी बैंच जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने संबंधी केस पर सुनवाई के दौरान लंच ब्रेक पर गई।
CJI के सामने सिब्बल ने कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि हरियाणा में कुछ लोगों द्वारा एक विशेष समुदाय से जुड़े लोगों को रोजगार देने वालों को ‘गद्दार’ (देशद्रोही) के रूप में संबोधित किया जा रहा है।

15 लोगों पर केस दर्ज, आरोपी जता चुके खेद
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हांसी के जिस वीडियो का जिक्र किया गया है, वह 31 जुलाई को नूंह में हुए दंगों के दो दिन बाद यानि 2 अगस्त का है। उस दिन हांसी में कुछ हिंदू संगठनों की ओर से पूरे बाजार में एक यात्रा निकाली गई थी। इसमें लोकल दुकानदारों को चेतावनी दी गई थी कि वह अपने यहां किसी भी बाहरी मुसलमान को काम पर न रखें।
इस धमकी से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उसके बाद हिसार एसपी के आदेश पर यात्रा में शामिल 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस ने इसमें कृष्ण गुर्जर, परविंदर लोहान, भूपेंद्र राठौड, विनोद समेत 12 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ धार्मिक दंगे भड़काने का केस दर्ज किया था।
हालांकि केस दर्ज होने और वीडियो वायरल होने पर हिंदू संगठनों के लोगों ने हांसी SDM कार्यालय पहुंचकर खेद जता दिया था।
ऐसी रैलियों से सांप्रदायिक तनाव
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि इस तरह की रैलियां समुदाय विशेष को बदनाम करती हैं और खुले तौर पर हिंसा व लोगों की हत्या का आह्वान करती हैं। इसका असर केवल उन्हीं क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहता जो वर्तमान में सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे हैं, बल्कि बाकी इलाकों में भी सांप्रदायिक तनाव बढ़ाती हैं।
हेट स्पीच पर रोक की मांग
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि राज्य और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएं कि वह इस तरह के नफरत भरे भाषण वाली रैलियों की अनुमति न दे क्योंकि इससे सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित होगा।
गौरतलब है कि नूंह दंगों के बाद विहिप और दूसरे हिंदू संगठनों ने दिल्ली में अलग-अलग जगह रैलियां निकालने का ऐलान किया था। इसे लेकर दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दिल्ली पुलिस को ये सुनिश्चित बनाने का आदेश दिया था कि इन रैलियों में किसी तरह की भड़काऊ स्पीच न दी जाए। नूंह हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है।