सुप्रीम कोर्ट ने सब्जी विक्रेता की सजा घटाई:आरोपी ने 10 रुपए के 43 जाली नोट रखे थे, मद्रास HC ने 5 साल सजा सुनाई
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नई दिल्ली2 दिन पहले

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुन्द्रेश और जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुन्द्रेश और जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक सब्जी विक्रेता की जेल की सजा कम कर दी है। सब्जी विक्रेता को 10 रुपये के 43 जाली नोट रखने के मामले में दोषी ठहराया गया था। सब्जी विक्रेता का नाम पलानीसामी है, और वह थेनी जिले का रहने वाला है।

2014 में मद्रास हाई कोर्ट ने उसे पांच साल की सजा दी थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने कम कर पलानीसामी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस एम एम सुन्द्रेश और जेबी पारदीवाला की बेंच ने की थी।

जजों ने 5 साल की सजा को भुगत चुकी सजा में बदला
जजों की पीठ ने 10 अगस्त के दिए आदेश में कहा कि, ‘पलानीसामी के खिलाफ आरोप सिर्फ IPC की धारा 489 सी के तहत है। उसके पास ₹10 मूल्य के 43 नकली नोट पाए गए। वह एक सब्जी विक्रेता था और इस मामले में मुख्य आरोपी कबीर है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, हम आरोप को बरकरार रखते हुए पलानीसामी की सजा में बदलाव करना चाहते है।

हाई कोर्ट ने जो पांच साल की सजा दी थी, उसमें बदलाव कर इनकी सजा को पहले ही कट चुकी सजा में बदलना चाहते हैं। इस मामले की अपील की अनुमति देते है।अगर किसी दूसरे मामले में जरूरी नहीं है तो अपीलकर्ता यानी पलानीसामी को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा”। पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में शामिल तीनों आरोपियों में से केवल पलानीसामी ने अपील की है।

क्या था पूरा मामला…
पलानीसामी के खिलाफ केस दर्ज कराने वाले पक्ष ने कहा कि 22 सितंबर, 2002 को एक टिप के आधार पर पुलिस ने थेनी जिले के बोडी टाउन के ममराजार बाजार के पास से उसे और कलाई नाम के आरोपी को पकड़ा था। पलानीसामी ने यह कबूल किया था कि केरल के तिरुवनंतपुरम से आए तीसरे आरोपी कबीर ने ही उन्हें 10 रुपए के नकली नोटों के 24 बंडल दिए थे।

उसने बताया कि उसने और कलाई ने सितंबर 2002 में एक बंडल निकाला और आपस में बांट लिया। दोनों ने नकली नोटों को बाजार में चलाने की कोशिश की थी।

2014 में ट्रायल कोर्ट ने सुनाई सात साल की सजा
पलानीसामी और कलाई को 8 जनवरी 2014 को ट्रायल कोर्ट ने सात साल की कैद की सजा सुनाई थी। तीसरा आरोपी कबीर उस वक्त फरार हो गया था। 24 अक्टूबर 2019 को मद्रास हाई कोर्ट ने पलानीसामी की सात साल जेल की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया। इसके बाद वह 451 दिनों तक जेल में रहा था।

जेल में रहने के दौरान उसने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। पलानीसामी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ‘वह एक अनपढ़ व्यक्ति है, जो सब्जी बेचकर कमाई करता है। उसके खिलाफ पहले कोई आरोप या अन्य मामला नहीं रहा है। इस आधार पर उसकी सजा कम की जा सकती है।’ इस दलील पर विचार कर सुप्रीम कोर्ट ने पलानीसामी को रिहा करने का आदेश दिया।

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