मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आज (24 अप्रैल) अपना 50वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी से बड़े-बड़े गेंदबाजों के पसीन छुड़ा दिए थे, वहीं उनकी गेंदबाजी का भी कोई जवाब नहीं था. सचिन तेंदुलकर एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन डेनिस लिली की सलाह के बाद उन्होंने बल्लेबाजी में पूरा ध्यान लगाया.
सचिन तेंदुलकर ने एक मुकाबले में ऐसी बाउंसर गेंद डाली थी, जिससे बल्लेबाज की नाक टूट गई थी. 20 अप्रैल 1991 को दिल्ली और मुंबई के बीच एक रणजी मुकाबले के दौरान यह वाकया हुआ था. सचिन तेंदुलकर की गेंद इतनी खतरनाक थी कि बंटू सिंह के नाक में कई फ्रैक्चर हो गए और खून बहने लगा. बंटू 1980 और 90 के दशक में दिल्ली की बल्लेबाजी के स्तंभ थे.
मेरे पास एक नई नाक है: बंटू सिंह
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32 साल पुरानी उस घटना को याद करते हुए बंटू सिंह कहते हैं, ‘मेरी नाक का नक्शा बदल गया, तेंदुलकर के उस बाउंसर के बाद अब मेरे पास एक नई नाक है. बंटू ने बताया, ‘हमने कोटला में एक घसियाली पिच तैयार करने की कोशिश की थी, जिस पर गेंद को उछाल मिलता, लेकिन बाद में यह बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग बन गया. हमारे तेज गेंदबाज संजीव शर्मा और अतुल वासन ने अपना आखिरी सत्र खेल रहे दिलीप वेंगसरकर को कुछ बाउंसर फेंके थे. मुझे याद है कि कम से कम दो मौकों पर, अतुल के बाउंसरों ने दिलीप भाई के सीने पर लगा था और छींटाकशी शुरू हो गई थी.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे यह चोट दूसरी पारी में लगी थी. पहली पारी में मैंने शतक बनाया था और महज औपचारिकता वाली दूसरी पारी में मैंने तेंदुलकर के खिलाफ चौका जड़ा, लेकिन उनकी अगली गेंद घास पर टप्पा खाकर उछाल लेती हुए तेजी मेरी ओर आयी, मैने पुल शॉट खेला और गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए नाक पर जा लगी. यह चोट इतनी गंभीर थी कि मैंने अपना संतुलन खो दिया, मांजरेकर स्लिप से दौड़कर मेरे पास पहुंचे और मुझे गिरने से बचाया. मेरा और मांजरेकर दोनों का शार्ट खून से लाल हो गया था.’
सचिन ने फोन करके जाना था हाल
बंटू सिंह को कोटला के ठीक पीछे संजीवन अस्पताल ले जाया गया और पता चला कि उनकी नाक में कई फ्रैक्चर हैं, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत है. उन्हें कम से कम दो महीने तक तरल आहार पर रहना पड़ा. बंटू हालांकि तेंदुलकर की इंसानियत को अब भी नहीं भूले हैं. उन्होंने कहा, ‘मुंबई की टीम मैच समाप्त होने के बाद उसी शाम को चली गई थी, रात के लगभग 11 बजे थे कि हमारे लैंडलाइन फोन की घंटी बजी और मेरे पिताजी ने उठाया. दूसरी तरफ तेंदुलकर थे. पता नहीं उन्होंने मेरा फोन नंबर कैसे ढूंढा.उन्होंने मेरे उसने पिताजी से पूछा कि मैं कैसे हूं डॉक्टर क्या कह रहे हैं? बाद में जब भी हम मिलते थे, तो वह पूछते थे ‘नाक ठीक है न तेरा.’
दिल्ली को गंवाना पड़ा था वह मैच
उस दौर में मुंबई और दिल्ली की प्रतिद्वंद्विता चरम पर थी और दोनों टीमों के बीच कांटे का मुकाबला होता था. दिल्ली की टीम उस क्वार्टर फाइनल में पहली पारी में पिछड़ने के चलते मुकाबले को गंवा बैठी और उसे खिताब की रेस से बाहर होना पड़ा था. दिल्ली ने पहली पारी में मुंबई के 390 रन के जवाब में 389 रन बनाये थे. दूसरी पारी में मुंबई ने संजय मांजरेकर, तेंदुलकर और चंद्रकांत पंडित के शतकों की मदद से विशाल स्कोर खड़़ा किया.
सचिन तेंदुलकर ने 664 इंटरनेशनल मैचों में रिकॉर्ड 34 हजार 357 रन बनाए. इस दौरान सचिन के बल्ले से 100 शतक और 164 अर्धशतक निकले. सचिन तेंदुलकर ने गेंदबाजी में भी कमाल दिखाते हुए 201 विकेट अपने नाम किए. साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े में आयोजित टेस्ट मुकाबले के बाद उन्होंने अपने शानदार करियर पर विराम लगाने की घोषणा की थी.