RSS के सर्वे में सैमलिंगकता को रोग बताया गया:LGBTQ कार्यकर्ता बोले
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नई दिल्ली2 महीने पहले

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सर्वे में शामिल डॉक्टरों का मानना है कि समलैंगिकता एक रोग है और अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई तो यह रोग समाज में और फैलेगा। - Dainik Bhaskar

सर्वे में शामिल डॉक्टरों का मानना है कि समलैंगिकता एक रोग है और अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई तो यह रोग समाज में और फैलेगा।

LGBTQ अधिकार कार्यकर्ताओं ने सेम सेक्स मैरिज पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) निकाय के सर्वे को खतरनाक और भ्रामक बताया है। साथ ही संगठन पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया है। दरअसल, RSS की महिला शाखा से जुड़ी सामुदायिक न्यास ने सेम सेक्स मैरिज को लेकर एक सर्वे कराया है।

इस सर्वे में शामिल डॉक्टरों का मानना है कि समलैंगिकता एक रोग है और अगर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी गई तो यह रोग समाज में और फैलेगा।

सर्वे में शामिल डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने की मांग
LGBTQ अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे अध्ययन समाज के लिए खतरनाक हैं। यह बुनियादी गरिमा के खिलाफ है और मानहानि के बराबर है। इस सर्वे में शामिल डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए।

राइटर और लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले शरीफ डी रंगणेकर ने कहा कि योग संस्थान और इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी दोनों ने ही माना है कि समलैंगिकता सामान्य है।

पुराणों में भी समलैंगिकता का जिक्र
वहीं, एक्टिविस्ट हरीश अय्यर ने कहा कि भारत सहित दुनियाभर के मनोरोग निकायों ने यह मान लिया है कि समलैंगिकता किसी भी संदेह से परे है। अगर आप मानते हैं कि इंसानों को भगवान ने बनाया है तो यह भी मानिए कि मुझे भी भगवान ने ही बनाया है। उन्होंने कहा कि LGBTQIA+ के खिलाफ खड़े होना भगवान के इरादे के खिलाफ काम करने जैसा है। हमारे पुराणों में भी समलैंगिकता और ट्रांसजेंडर का जिक्र किया गया है।

अय्यर ने सरकार से इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस बारे में लोगों को जागरूक करना सरकार की जिम्मेदारी है।

उधर, माकपा नेता सुभाषिनी अली ने भी ट्वीट कर इस सर्वे को मूर्खतापूर्ण, अवैज्ञानिक और अमानवीय बताया है। यह सर्वे 318 लोगों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। इसमें आधुनिक विज्ञान से लेकर आयुर्वेद उपचार के आठ अलग-अलग तरीकों के चिकित्सक शामिल हैं। सर्वे में शामिल 70% डॉक्टरों ने समलैंगिकता को रोग बताया है।

बता दें कि सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। 3 मई को मामले में सात दिन सुनवाई हो चुकी है। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सेम सेक्स कपल की समस्याओं का हल तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने को तैयार है।

मेहता ने कहा कि यह कमेटी इन कपल की शादी को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे में नहीं दाखिल होगी। समस्याओं को लेकर याचिकाकर्ता यानी सेम सेक्स कपल अपने सुझाव दे सकते हैं। वो हमें बताएं कि क्या कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार इस पर सकारात्मक है। हां ये बात जरूर है कि इस मामले में एक नहीं, बल्कि ज्यादा मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…

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