रेवाड़ीएक महीने पहले
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हरियाणा में रेवाड़ी के जिस तुषार ने UPSC एग्जाम में 44वीं रैंक का दावा किया, असल में वह प्री-एग्जाम ही क्लियर नहीं कर पाया था। इसका खुलासा UPSC की तरफ से दी जानकारी से हुआ है। UPSC के मुताबिक, रेवाड़ी के तुषार ने सिविल सर्विसेज एग्जाम के लिए आवेदन किया था।
तुषार को 2208860 रोल नंबर जारी किया गया था। तुषार ने प्री-एग्जाम दिया था। प्री-एग्जाम के पेपर वन में तुषार को माइनस 22.89 अंक मिले थे, जबकि पेपर टू में 44.73 अंक आए थे। UPSC के नियमों के अनुसार, पेपर टू में कम से कम 66 अंक लेने वाला अभ्यर्थी की पास माना जाता है।
इसके बाद अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर रेवाड़ी के तुषार के पास 44वीं रैंक पाने वाले बिहार के तुषार कुमार के रोल नंबर वाला एडमिट कार्ड कहां से आया?। वहीं पूरे मामले में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद तुषार दिल्ली जाने की बात कहकर निकला था, लेकिन अभी तक उसका कोई अता-पता नहीं है।

फर्जी एडमिट कार्ड कैसे बना?
इस पूरे मामले में अब सब यह जानना चाहते हैं कि रेवाड़ी के तुषार के पास फर्जी एडमिट कार्ड कैसे आया, जिस पर बिहार के तुषार कुमार का रोल नंबर लिखा है। तुषार ने रिजल्ट घोषित होने के कुछ ही घंटे बाद खुद के 44वीं रैंक आने की बात कह दी।
ऐसे में उसके फर्जी एडमिट कार्ड को लेकर कई संभावनाएं जताई जा रही हैं। तुषार ने खुद ही यह एडमिट कार्ड तैयार किया या फिर किसी कोचिंग सेंटर अथवा गिरोह के साथ मिलकर यह सब किया। इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि तुषार के गायब होने से इस बारे में किसी को कोई जवाब नहीं मिल रहा है।

विवाद के बाद UPSC ने किया क्लियर
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई, जब रेवाड़ी के सत्ती कॉलोनी के तुषार ने कहा कि उसे UPSC में 44वीं रैंक मिली है। इसकी खबरें सामने आते ही बिहार के तुषार कुमार ने कहा कि यह रैंक उसका है। रेवाड़ी वाला झूठ बोल रहा है। जिसके बाद उनके एडमिट कार्ड चेक किए गए।
इसमें दोनों के नाम व रोल नंबर तो सेम थे, लेकिन रेवाड़ी के तुषार के एडमिट कार्ड पर लगा क्यूआर कोड वर्किंग नहीं था। मतलब उसे स्कैन करने के बाद कोई जानकारी नहीं आ रही थी। इसके उलट बिहार वाले तुषार के क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उनकी डिटेल्स निकल रही थी। इसके बाद UPSC ने भी स्पष्ट किया कि बिहार वाला ही असली तुषार है, जिसकी 44वीं रैंक आई है।