अमृतसर2 महीने पहले
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग वाले मामले पर बुधवार को सुनवाई हुई। उसे सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका ठुकराते हुए केंद्र को राजोआना की सजा पर जल्द फैसला लेने के लिए कहा है।

1995 में किया था कत्ल
राजोआना ने 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को अपने साथियों के साथ मिल कर मानव बम से उड़ा दिया था। जुलाई 2007 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने 2010 में उसकी सजा को बरकरार रखा था, वह 27 साल से जेल में है। अब राजोआना 56 साल का हो चुका है।
राजोआना के वकील की तरफ से 2012 में दया याचिका दाखिल की थी, जो केंद्र सरकार के पास लंबित है। गृह मंत्रालय की ओर से उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने पर कोई फैसला नहीं लिया गया।
अब जानिए पिछली सुनवाइ में क्या हुआ:-
इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान बलवंत के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि दया याचिका को इतने लंबे समय तक पेंडिंग रखना उनके मुवक्किल के मूल अधिकारों का हनन है, लिहाजा कोर्ट को उसकी तत्काल रिहाई का आदेश देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार का जवाब मांगा था। केंद्र की तरफ से दाखिल हलफनामे में कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया। पिछली सुनवाई में मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राजोआना की उम्र 56 साल हो गई, जब घटना हुई थी उस समय वह युवा था। दया याचिका पर गृह मंत्रालय के फैसले का इंतजार नहीं कर सकते, सुप्रीम कोर्ट को मामले में अब फैसला सुनाना चहिए।
इसके साथ ही वकील मुकुल रोहतगी ने दया याचिका में देरी का हवाला देते हुए पैरोल पर छोड़ने और दया याचिका पर फैसले में देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अलग से करने की भी बात की थी।