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दवाओं के नियमन का भारतीय-मानदंड ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप हो:नीति आयोग की सिफारिश- मेडिकल उपकरणों से जुड़े नियमों के लिए अलग संस्था बने
नई दिल्ली2 महीने पहले
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नीति आयोग ने शनिवार को देश में मेडिकल उपकरणों से जुड़े नियमों के लिए अलग संस्था का गठन करने की सलाह दी। आयोग ने सिफारिश की है कि दवाओं से जुड़े नियमों के इंडियन स्टैंडर्ड ना सिर्फ ग्लोबल स्टैंडर्ड बल्कि इंटरनेशनल काउंसिल फॉर हार्मोनाइजेशन की गाइडलाइन के मुताबिक होने चाहिए, जिससे व्यापार में आसानी हो। अभी देश में दवाओं और मेडिकल उपकरणों से जुड़े नियम ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) बनाता है।
जुलाई 2022 में सार्वजनिक मंच पर रखा गया था विधेयक
नीति आयोग ने ये सिफारिशें न्यू ड्रग्स, मेडिकल डिवाइसेज एंड कॉस्मेटिक विधेयक 2023 पर अंतर-मंत्रालयी विचार के दौरान दीं। यह विधेयक संसद में पास होने के बाद ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की जगह लेगा। इसे पिछले साल जुलाई में सार्वजनिक मंच पर रखा गया और सभी पक्षों से उनकी राय मांगी गई थी। समीक्षा के बाद अब विधेयक को आंतरिक मंत्रालय के पास भेजा गया है।
वहीं, क्लीनिकल परीक्षण पर नीति आयोग ने कहा कि विधेयक के मसौदे में ग्लोबल स्टैंडर्ड के प्रति भारतीय मानदंडों की झिझक को दूर करने की मंशा दिखनी चाहिए। साथ ही समय पर क्लीनिकल ट्रायल्स, नई दवाओं को जनता तक पहुंचाने और बिजनेस में भी आसानी हो ये ध्यान रखा जाए।
दवाओं की क्वॉलिटी में सुधार होगा
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ग्लोबल स्टैंडर्ड को अपनाने से दवाओं का एक्सपोर्ट बढ़ेगा और घरेलू-ग्लोबल मार्केट में अच्छी क्वॉलिटी की दवाएं सप्लाई होंगी। इससे हाल ही में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में दवाओं की क्वॉलिटी की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। बता दें कि कुछ महीनों पहले गाम्बिया और उज्बेकिस्तान ने दावा किया था कि भारत में बनी कफ सिरप पीने से उनके यहां कई बच्चों की मौत हो गई।
सूत्रों का कहना है कि बेहद कड़े नियम वाले देशों जैसे अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ में दवाओं से जुड़े नियम उच्च स्तर के हैं, जिससे वे मेडिकल उत्पादों की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें। कई देश अपने यहां दवाएं आयात करने में औषधि नियमन के इंडियन स्टैंडर्ड को मान्यता नहीं देते हैं।
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उज्बेकिस्तान बोला-इंडियन कफ सिरप से 18 बच्चों की मौत, भारत में जांच शुरू

उज्बेकिस्तान सरकार ने आरोप लगाया था कि भारत में बना कफ सिरप देने की वजह से उनके देश में 18 बच्चों की मौत हुई। उज्बेक हेल्थ मिनिस्ट्री ने बुधवार को कहा कि नोएडा के मेरियन बायोटेक में बना कफ सिरप DOK-1 MAX पीने से बच्चों की जान गई। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) जांच में उज्बेकिस्तान सरकार का सहयोग करेगा। भारत ने भी उज्बेक सरकार के आरोपों की जांच का फैसला किया था। पढ़ें पूरी खबर…