संपत्ति कुर्क, 30 दिन का टाइम… 'भगोड़ा' घोषित किए गए आरोपी के साथ क्या होता है?

उत्तर प्रदेश पुलिस ने माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया है. इसके साथ ही शाइस्ता पर 50 हजार रुपये का इनाम भी रखा है. शाइस्ता परवीन उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी है. 

धूमगंज पुलिस थाने के एसएचओ राजेश मौर्य ने बताया कि उमेश पाल की हत्या के बाद से ही शाइस्ता फरार चल रही है. चाकिया में स्थित घर के बाहर नोटिस भी लगा दिया गया है. शाइस्ता यहीं रहती थी.

उन्होंने बताया कि अतीक अहमद का पैतृक घर ध्वस्त करने के बाद उसकी पत्नी और बेटा इसी घर में रहते थे. हालांकि, उमेश पाल की हत्या के बाद इस घर को भी ढहा दिया गया था. इस घर की बची हुई दीवारों पर सोमवार को नोटिस लगाया गया.

एसएचओ मौर्य ने बताया कि भगोड़ा घोषित करने के बाद भी अगर शाइस्ता परवीन ने सरेंडर नहीं किया तो उसकी संपत्ति कुर्की करने की कार्रवाई की जाएगी.

उमेश पाल 2005 में हुए बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह थे. इस साल 24 फरवरी को उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

शाइस्ता परवीन को तो भगोड़ा घोषित कर दिया है. और अब पुलिस गुड्डु मुस्लिम को भी भगोड़ा घोषित करने की तैयारी कर रही है. गुड्डु मुस्लिम उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य संदिग्ध है. गुड्डु मुस्लिम पर पांच लाख का इनाम है, लेकिन पुलिस अब तक उसका सुराग नहीं ढूंढ पाई है.

ऐसे में जानते हैं कि किसी अपराधी या आरोपी को कब भगोड़ा घोषित किया जाता है? और भगोड़ा घोषित करने से होता क्या है? 

किसी को कब भगोड़ा घोषित किया जाता है?

– अगर किसी अदालत ने किसी आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है. और कई बार नोटिस या समन जारी करने के बावजूद आरोपी सरेंडर नहीं करता है तो उसे ‘भगोड़ा’ घोषित कर दिया जाता है.

– किसी आरोप को भगोड़ा घोषित करने का नोटिस अदालत जारी करती है. हालांकि, कानूनी भाषा में इसे भगोड़ा नहीं, बल्कि ‘फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा’ कहा जाता है. 

– अगर किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है तो पुलिस इसका नोटिस उसके घर पर लगाती है. अगर अदालत आदेश दे तो फिर स्थानीय अखबार में भी इसे छापा जाता है. 

– किसी फरार व्यक्ति के उद्घोषणा जारी करने का प्रावधान कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर यानी सीआरपीसी की धारा 82 में किया गया है.

किन मामलों में भगोड़ा घोषित किया जाता है?

– सभी मामलों में आरोपी को भगोड़ा घोषित नहीं किया जाता है. सिर्फ उन्हीं मामलों में ऐसा किया जाता है जब आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया हो और बार-बार नोटिस मिलने के बावजूद वो सरेंडर नहीं कर रहा हो.

– सीआरपीसी की धारा 82 के तहत, गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया जाता है. इनमें हत्या, हत्या की कोशिश जैसे अपराध शामिल हैं.

भगोड़ा घोषित करने के बाद क्या होता है?

– सीआरपीसी की धारा 83 के तहत, अदालत चाहे तो भगोड़ा घोषित किए गए आरोपी की चल और अचल संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दे सकती है.

ऐसे में आरोपी के पास क्या हैं विकल्प?

– किसी आरोपी को भगोड़ा घोषित किए जाने के 30 दिन के भीतर उसे सरेंडर करना होता है. 

– इसके अलावा आरोपी इसके खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है. लेकिन उसे 30 दिन के अंदर इसकी अपील करनी होगी.

क्या है उमेश पाल हत्याकांड?

– इस साल 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हो गई थी. राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई के बाद जब उमेश पाल और उनके दो गनर घर लौटे, तभी उन पर हमला हुआ था. हमलावरों ने पहले बम फेंका था और फिर कई राउंड फायरिंग की थी.

– उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे. उन्हें धमकियां भी मिलती थीं. जिसके बाद अदालत के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर मिले थे. 

– राजू पाल बीएसपी के विधायक थे. 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था.

– इस साल 28 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद और अन्य दो को 2006 में उमेश पाल की किडनैपिंग के मामले में दोषी करार दिया था. उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 

– इसके बाद 15 अप्रैल को अतीक और उसके भाई अशरफ को जब पुलिस रूटीन चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आई थी, तभी तीन हमलावरों ने दोनों को गोली मार दी थी. इसमें दोनों की मौत हो गई थी.

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