कांग्रेस ने मंगलवार को चुनाव आयोग में याचिका दायर कर कर्नाटक के मतदाताओं से आदर्श आचार संहिता का ‘उल्लंघन’ करने की अपील करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की. पार्टी ने कहा कि यह चुनाव आयोग की क्षमता और कानूनों को लागू करने की इच्छा का ‘लिटमस टेस्ट’ है.
मुख्य चुनाव आयुक्त को एक लंबी शिकायत में कर्नाटक के प्रभारी कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने आयोग से पूछा कि क्या वह “मूक और असहाय दर्शक” बना रहेगा या अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करेगा और प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
चुनाव आयोग का जवाब
कांग्रेस के सवाल उठाने के बाद चुनाव आयोग ने जवाब दिया. चुनाव आयोग ने कहा कि कर्नाटक में मतदान से एक दिन पहले यानी चुनाव प्रचार बंद होने के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य की जनता के नाम खुले पत्र और वीडीओ मैसेज निर्वाचन आयोग की निगाह में तो चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.
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आयोग में उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक अव्वल तो इसमें किसी के पक्ष या खिलाफ वोट देने की कोई अपील नहीं है. क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में कर्नाटक के योगदान की बात है. और दोबारा बीजेपी सरकार बनने की उम्मीद. दूसरा ये कि ये जमीन पर किया गया प्रचार नहीं है. सोशल मीडिया के जरिए खुला पत्र है. यानी कोई जलसा, सभा, जुलूस या रोड शो आदि में से कुछ नहीं है.
तीसरा ये कि ये सार्वजनिक या सामूहिक तौर के बजाय निजी तौर पर किया गया कम्युनिकेशन यानी संप्रेषण है. इन तीनों कसौटियों पर कसने के बाद निर्वाचन आयोग ने मन बनाया कि इसमें स्वत: संज्ञान लेने जैसी कोई चीज नहीं है.
अलबत्ता कुछ साल पहले बिहार विधान सभा चुनावों के दौरान मतदान के दिन राजनीतिक दलों की ओर से गायों की तस्वीरों वाले विज्ञापन अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित किए गए थे. तब आयोग ने बीजेपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. अखबारों से भी आयोग ने जवाब मांगा था कि आपने हमारे आदेश के उलट जाकर विज्ञापन क्यों छापा?
निर्वाचन आयोग ने बिना उसकी मंजूरी के विज्ञापन प्रकाशित करने पर पाबंदी आमद की तो बचने के लिए सोशल मीडिया का रास्ता निकाल लिया गया. हालांकि कांग्रेस ने भी स्थानीय अखबारों में मतदान से ऐन पहले विज्ञापन प्रकाशित किए हैं. आयोग ने उस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.