राहुल गांधी के मणिपुर दौरे का दूसरा दिन:सिविल सोसाइटी के मेंबर्स से मिलेंगे, इजाजत मिली तो मोइरांग भी जा सकते हैं
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एन बीरेन सिंह के इंफाल स्थित उनके सरकारी आवास पर प्रदर्शन कर रहे समर्थकों को एक शख्स ने कागज थमाया जिसे महिलाओं ने फाड़ दिया। इसे इस्तीफे की कॉपी बताया जा रहा है। - Dainik Bhaskar

एन बीरेन सिंह के इंफाल स्थित उनके सरकारी आवास पर प्रदर्शन कर रहे समर्थकों को एक शख्स ने कागज थमाया जिसे महिलाओं ने फाड़ दिया। इसे इस्तीफे की कॉपी बताया जा रहा है।

मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के बीच शुक्रवार सुबह से खबरें आ रही थीं कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह कुर्सी छोड़ने वाले हैं। वे दोपहर 3 बजे राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे।

हालांकि, अटकलों के बीच सैकड़ों महिलाएं इंफाल में राजभवन के सामने पहुंचीं। महिलाओं ने बीरेन सिंह से इस्तीफा ना देने और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेंने की मांग की।

उधर, मुख्यमंत्री ने शाम 4 बजकर 1 मिनट पर ट्विटर पर लिखा- इस मोड़ पर तो मैं इस्तीफा नहीं देने वाला हूं। यानी बीरेन सिंह ने साफ कर दिया कि वे मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ रहे।

एन बीरेन सिंह का इस्तीफा, जो कटे-फटे हाल में वायरल हो रहा है

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे का यह लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे का यह लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

समर्थकों को देखकर वापस लौटे CM
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ मंत्री ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह आज इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन जनता के दबाव में उन्होंने अपना मन बदल लिया। बीरेन सिंह गवर्नर हाउस के लिए निकल रहे थे, इसी दौरान अपने घर के बाहर समर्थकों के प्रदर्शन को देखने के बाद वे वापस लौट गए।

बीरेन सिंह के घर के बाहर सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने ह्यूमन चेन बनाया और कहा कि वे नहीं चाहती थीं कि उनके CM इस्तीफा दें। उनके इस्तीफे की एक कॉपी भी तब फाड़ दी गई, जब दो मंत्री इसे लेकर CM हाउस के बाहर आए और उसे प्रदर्शन कर रही महिलाओं को सौंपा।

बीरेन सिंह के घर के बाहर और राजभवन पर समर्थकों की भीड़

CM हाउस के बाहर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं इकट्ठा हुई, ये इस्तीफा न देने की मांग कर रही थीं।

CM हाउस के बाहर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं इकट्ठा हुई, ये इस्तीफा न देने की मांग कर रही थीं।

इससे पहले मणिपुर के स्थानीय लोगों ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा था कि हम नहीं चाहते कि CM इस्तीफा दें, उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए। वह हमारे लिए बहुत काम कर रहे हैं। हम CM को समर्थन दे रहे हैं। हम 2 महीने से उथल-पुथल की स्थिति में हैं।

लोगों ने कहा कि हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब भारत सरकार और मणिपुर सरकार इस संघर्ष को लोकतांत्रिक तरीके से हल करेगी। ऐसी स्थिति में अगर मणिपुर के CM इस्तीफा दे देते हैं, तो लोग यहां कैसे रहेंगे। हमारा नेतृत्व कौन करेगा।

एक दिन पहले गोलीबारी में मारे गए 3 लोग

गुरुवार शाम को इंफाल में BJP दफ्तर के पास भीड़ इकट्‌ठा होने लगी। पुलिस ने इन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।

गुरुवार शाम को इंफाल में BJP दफ्तर के पास भीड़ इकट्‌ठा होने लगी। पुलिस ने इन्हें हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।

मणिपुर में गुरुवार को हुई गोलीबारी में 3 लोगों की जान चली गई। हिंसा की 2 घटनाओं में से एक गुरुवार सुबह 5:30 बजे कांगपोकपी जिले में हुई। यहां हथियार बंद लोगों ने गोलीबारी की। इस घटना में 2 लोगों की जान गई थी।

लोगों ने शवों को लेकर CM हाउस तक जुलूस निकालने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया था। इसके अलावा, गुरुवार शाम को ही हिंसा की जांच कर रहे एक पुलिसकर्मी की भी गोली लगने से मौत हो गई थी।

5 जुलाई तक बढ़ा इंटरनेट बैन
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा में अब तक 131 से ज्यदा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 419 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार FIR हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। हिंसा को देखते हुए इंटरनेट पर बैन 5 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।

राहुल गांधी बोले- मणिपुर को शांति की जरूरत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन का दौरा पूरा होने पर दिल्ली लौट गए। राहुल ने शुक्रवार को मोइरांग रिलीफ कैंप में हिंसा प्रभावित से मुलाकात की। फिर उन्होंने कहा- मणिपुर को शांति की जरूरत है। मैं चाहता हूं कि यहां शांति बहाल हो। मैंने कुछ राहत शिविरों का दौरा किया, इन राहत शिविरों में कमियां हैं, सरकार को इसके लिए काम करना चाहिए।

राहुल गांधी ने आज इंफाल में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की। उन्होंने राहत शिविरों में शिशु आहार, दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी पर चिंता जताई।

राहुल गांधी ने आज इंफाल में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की। उन्होंने राहत शिविरों में शिशु आहार, दवा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी पर चिंता जताई।

गुरुवार को राहुल ने चूराचांदपुर में रिलीफ कैंप में पीड़ितों से मुलाकात की थी। हालांकि, चूराचांदपुर पहुंचने से पहले राहुल का काफिला बिष्णुपुर में रोका गया था। पुलिस ने कहा था कि हिंसा की आशंका के चलते काफिला रोका गया था। इसके बाद राहुल हेलिकॉप्टर से चूराचांदपुर पहुंचे थे।

यहां उन्होंने कहा था- मैं मणिपुर के अपने सभी भाई-बहनों को सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है।

राहुल के मणिपुर दौरे की तस्वीरें…

राहुल गांधी ने मोइरांग कैम्प में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की।

राहुल गांधी ने मोइरांग कैम्प में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की।

मोइरांग कैम्प में हिंसा पीड़ित महिला राहुल को अपनी समस्याएं बताते हुए रो पड़ी।

मोइरांग कैम्प में हिंसा पीड़ित महिला राहुल को अपनी समस्याएं बताते हुए रो पड़ी।

मोइरांग रिलीफ कैम्प में राहुल लोगों से बातचीत करते, उनकी सेहत के बारे में पूछते नजर आए।

मोइरांग रिलीफ कैम्प में राहुल लोगों से बातचीत करते, उनकी सेहत के बारे में पूछते नजर आए।

चूराचांदपुर के रिलीफ कैंप में राहुल ने बच्चों से बातें की।

चूराचांदपुर के रिलीफ कैंप में राहुल ने बच्चों से बातें की।

असम CM बोले- अगर सॉल्यूशन नहीं ला सकते, तो दूर रहें राहुल गांधी
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा – अगर राहुल मणिपुर की समस्या के लिए कोई सॉल्यूशन नहीं ला सकते तो उन्हें इससे दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा- राज्य और केंद्र सरकार स्थिति को काबू में करने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में किसी नेता को वहां नहीं जाना चाहिए।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

1. कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

2. मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

3. नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

4. सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

मणिपुर हिंसा से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…

मणिपुर हिंसा को लेकर सोनिया गांधी का वीडियो संदेश:कहा- हिंसा ने राज्य के लोगों का जीवन तबाह कर दिया, शांति की अपील की

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर एक वीडियो संदेश जारी किया। इसमें सोनिया ने कहा, इस हिंसा ने आपके राज्य (मणिपुर) में लोगों के जीवन को तबाह कर दिया और हजारों लोगों को उजाड़ दिया है। इस हिंसा ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा में एक गहरा घाव छोड़ है। पढ़ें पूरी खबर…

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