TN के मंत्री की बर्खास्तगी पर केरल के राज्यपाल ने सुनाया किस्सा, जानिए क्या हुआ था

तमिलनाडु के राज्यपाल मंत्री सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी का आदेश जारी करने के बाद से लगातार निशाने पर हैं. गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद भले ही मंत्री की बर्खास्तगी के फैसले पर राज्यपाल ने रोक लगा दी है, मगर ये मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ तमिलनाडु सरकार राज्यपाल पर गंभीर आरोप लगा रही है, तो वहीं विपक्षी नेता भी इस फैसले को असंवैधानिक करार दे रहे हैं.

इस सबके बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी अपना एक किस्सा साझा किया है. उन्होंने बताया कि मैंने केरल के वित्त मंत्री को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया था. हालांकि, राज्यपाल आरिफ ने इसे तमिलनाडु के मामले से अलग बताया है. दरअसल, पिछले साल अक्टूबर में केरल के राज्यपाल आरिफ और पिनारई सरकार के बीच वित्त मंत्री को लेकर तनातनी देखने को मिली थी. 

केरल के वित्त मंत्री के भाषण से शुरू हुआ था विवाद

विवाद वित्त मंत्री के एक भाषण के बाद शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने राज्यपाल को टारगेट करते हुए कहा था कि जो लोग उत्तर प्रदेश जैसे स्थानों से आ रहे हैं, उनके लिए केरल के विश्वविद्यालयों को समझना मुश्किल है. तब आरिफ मोहम्मद ने कहा था कि वित्त मंत्री का बयान केरल और भारतीय संघ के अन्य राज्यों के बीच खाई पैदा करता है और गलत धारणा पेश करता है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में उच्च शिक्षा की अलग-अलग प्रणाली है.  

‘नाराजगी का मतलब बर्खास्तगी नहीं’

अब तमिलनाडु में राज्यपाल और सरकार के बीच चल रहे टकराव के बीच केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले साल वित्त मंत्री केएन बालगोपाल से नाराजगी जाहिर करने को सही ठहराया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मंत्री से नाराजगी का मतलब उनकी बर्खास्तगी नहीं है. 

वह अभी भी दृढ़ता से मानते ​​हैं कि अगर कोई व्यक्ति, जिसने भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ ली है, वह सार्वजनिक रूप से कहता है कि जो लोग देश के एक विशेष क्षेत्र से आते हैं, उन्हें दूसरे राज्य की शिक्षा प्रणाली की समझ नहीं हो सकती है, तो यह उस शपथ का उल्लंघन है. 

उन्होंने कहा कि नाखुशी की अभिव्यक्ति अलग बात है और उस अर्थ में यह वाकया हुआ था. क्योंकि मेरी राय में ऐसा (शपथ का उल्लंघन) हुआ था. मगर, सीएम ने इसे शपथ का उल्लंघन नहीं माना और इसलिए ही केएन बालगोपाल पद पर बने हुए हैं.

केरल राज्यपाल ने CM को पत्र में क्या लिखा था?

बता दें कि राज्यपाल अरिफ खान ने सीएम को लिखे पत्र में कहा था कि वित्त मंत्री सवाल उठा रहे हैं कि क्या यूपी मूल के राज्यपाल केरल की शिक्षा प्रणाली को समझ सकते हैं? मैं उनसे अपील करूंगा कि वे ये बात कभी सुप्रीम कोर्ट के किसी जज के लिए न कह दें. राज्यपाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि पहले भी उन पर कई दूसरे मंत्रियों ने हमले किए हैं, लेकिन क्योंकि वो सब निजी थे, ऐसे में उन्होंने उन्हें नजरअंदाज कर दिया. मगर, यदि केएन बालगोपाल के विवादित बोल को नजरअंदाज कर दिया गया, तो ये मेरी बड़ी लापरवाही मानी जाएगी. इसलिए उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

केरल सीएम ने बर्खास्तगी से कर दिया था इनकार

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की तरफ से वित्त मंत्री पर कार्रवाई करने की मांग को मुख्यमंत्री विजयन पिनारई ने मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने साफ कह दिया ता कि वे मंत्री के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेने वाले हैं. सीएम ने भी एक पत्र लिखकर ही राज्यपाल को अपना जवाब दिया था. इसमें उन्होंने लिखा था कि वित्त मंत्री केएन बालगोपाल उनके भरोसेमंद हैं और उन्हें हटाने की कोई जरूरत नहीं है. उनकी तरफ से राज्यपाल के खिलाफ भी कुछ नहीं बोला गया है. उम्मीद करते हैं कि राज्यपाल अब और कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. 

तमिलनाडु के राज्यपाल ने जारी किया था बर्खास्ती का आदेश

तमिलनाडु के राज्यपाल भवन से गुरुवार को बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया कि सेंथिल बालाजी पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं. इन परिस्थितियों में राज्यपाल आरएन रवि ने उन्हें तत्काल प्रभाव से कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया है. 

सेंथिल बालाजी पर नौकरी के बदले पैसे लेने और मनी लॉन्ड्रिंग सहित भ्रष्टाचार के कई आरोपों का सामना कर रहे हैं. वह मंत्री के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग कर जांच को प्रभावित कर रहे हैं और कानूनी प्रक्रियाओं में अड़चन पैदा कर रहे हैं. फिलहाल वह आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. हालांकि, इसके कुछ घंटों बाद ही विरोध के कारण आदेश पर रोक लगा दी गई.

क्या राज्यपाल किसी मंत्री को बर्खास्त कर सकते हैं? 

संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्तियां मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाएगी. इस तरह राज्यपाल के पास न तो किसी को नियुक्त करने और न ही किसी को मंत्रिमंडल से हटाने की शक्ति है. राज्यपाल सिर्फ मुख्यमंत्री की सलाह पर ही कैबिनेट में मंत्री को नियुक्त कर सकता है. लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने बताया कि मुख्यमंत्री की सलाह और मशवरे के आधार पर ही राज्यपाल कोई कदम उठा सकता है. 

संविधान के अनुच्छेद 164(1) के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर ही कैबिनेट से किसी मंत्री को नियुक्त या हटा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 164(1) कहता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल की सलाह पर की जाएगी और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाएगी. इस तरह राज्यपाल सिर्फ मुख्यमंत्री की सलाह पर ही किसी मंत्री को कैबिनेट से हटा सकता है या नियुक्त कर सकता है.

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