चंद्रयान-3 में ज्यादा फ्यूल और सेफ्टी मेजर्स:लैंडिंग साइट भी बड़ी होगी, इसरो चीफ ने बताई चंद्रयान-2 के फेल होने की वजह
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नई दिल्ली6 घंटे पहले

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चंद्रयान-3 की होने वाली यात्रा की 3D एनिमेशन इमेज। - Dainik Bhaskar

चंद्रयान-3 की होने वाली यात्रा की 3D एनिमेशन इमेज।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्रवार दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग करेगा। इस बार यान में ज्यादा फ्यूल और कई सेफ्टी मेजर्स किए गए हैं ताकि मिशन नाकाम न हो। साथ ही इस बार लैंडिंग साइट भी बड़ी होगी।

बता दें कि सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 की क्रैश-लैंडिंग हो गई थी।

चंद्रयान-3 के स्पेसशिप की यह तस्वीर इसरो की तरफ से जारी की गई है।

चंद्रयान-3 के स्पेसशिप की यह तस्वीर इसरो की तरफ से जारी की गई है।

SIA-इंडिया (सेटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन) की इंडिया स्पेस कांग्रेस के मौके पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर जब चंद्रमा की सतह पर 500×500 मीटर लैंडिंग स्पॉट की ओर बढ़ रहा था, तब क्या गलत हुआ था।

इंजनों ने अपेक्षा से ज्यादा थ्रस्ट पैदा किया
सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के लिए हमारे पास पांच इंजन थे, जिनका इस्तेमाल वेलॉसिटी को कम करने के लिए किया जाता है, जिसे रिटार्डेशन कहते हैं। इन इंजनों ने अपेक्षा से ज्यादा थ्रस्ट पैदा किया। इसके कारण बहुत सी परेशानियां बढ़ने लगीं।

तेजी से मुड़ना सॉफ्टवेयर से कंट्रोल नहीं हुआ
इसरो प्रमुख ने कहा कि यह दूसरा मुद्दा है। परेशानियां हमारी उम्मीद से कहीं अधिक थीं। लैंडर को बहुत तेजी से मोड़ लेना पड़ा। जब यह बहुत तेजी से मुड़ने लगा, तो सॉफ्टवेयर इसे कंट्रोल नहीं कर सका, क्योंकि हमने कभी इतनी हाई-रेट की उम्मीद नहीं की थी।

लैंडिंग साइट छोटी होना
चंद्रयान 2 के फेल होने का तीसरा कारण अंतरिक्ष यान को उतारने के लिए पहचानी गई 500 मीटर x 500 मीटर की छोटी लैंडिंग साइट थी। उन्होंने कहा- यान की स्पीड बढ़ाकर वहां पहुंचने की कोशिश की जा रही थी। यह चांद की जमीन के करीब था और स्पीड बढ़ती रही।

लैंडिग साइट की साइज इस बार ज्यादा
चंद्रयान-2 में सफलता आधारित डिजाइन के बजाय इसरो ने चंद्रयान-3 में फेल्यूअर बेस्ड डिजाइन का विकल्प चुना है। सोमनाथ ने कहा, ‘हमने लैंडिंग साइट को 500 मीटर x 500 मीटर से बढ़ाकर 2.5 किलोमीटर कर दिया है। यह कहीं भी उतर सकता है, इसलिए किसी खास जगह पर नहीं उतरना पड़ेगा। यह उस क्षेत्र के भीतर कहीं भी उतर सकता है।

चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचाने के तीन हिस्से

इसरो ने स्पेस शिप को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए तीन हिस्से तैयार किए हैं, जिसे टेक्निकल भाषा में मॉड्यूल कहते हैं…

चंद्रयान-2 में इन तीनों के अलावा एक हिस्सा और था, जिसे ऑर्बिटर कहा जाता है। उसे इस बार नहीं भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा के चक्कर काट रहा है। अब इसरो उसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 में करेगा।

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इसरो का नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 लॉन्च

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इससे हमारा NavIC नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा। पूरी खबर पढ़ें…

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