PM को किसी चुनाव के बाद परेशान नहीं देखा:मोदी के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा बोले
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निवेदिता मुखर्जी/एके भट्टाचार्य, नई दिल्लीएक दिन पहले

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पीएम मोदी के साथ प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्र। - Dainik Bhaskar

पीएम मोदी के साथ प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्र।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि वे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से जुड़े अनुभवों पर कोई किताब नहीं लिखेंगे। उनका मानना है कि ऐसे कार्यकाल को कभी संस्मरण या आत्मकथा का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। हालांकि उन्होंने मणिपुर के हालात, नोटबंदी, राम मंदिर निर्माण जैसे कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

1. आपने कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। इनके कार्यों और अनुभवों को लेकर तुलना कैसे करेंगे?
मैं तुलना नहीं कर सकता, क्योंकि सबके साथ मैंने अलग-अलग स्तर पर काम किया है। केवल मोदी जी के साथ मैंने सीधे तौर पर काम किया है। हां, मैंने उन्हें किसी भी चुनाव परिणाम के बाद परेशान नहीं देखा। वे नतीजों के लिए कभी किसी को दोष भी नहीं देते।

2. आपका मौजूदा काम, PMO के काम से कितना अलग है?
मोटे तौर पर काम का तरीका वही है। मैंने हर काम के लिए समय निर्धारित कर रखा है। पीएमओ में भी मेरी कोई मीटिंग एक घंटे से ज्यादा नहीं चलती थी। उन्हीं तरीकों से काम कर रहा हूं।

3. मणिपुर समस्या को क्या और अच्छी तरह से संभाल सकते थे?
हर समस्या को बेहतर ढंग से सुलझाया जा सकता है। इस विषय पर मैं बेहतर जवाब नहीं दे सकता क्योंकि मुझे जमीनी स्थिति और आंकड़ों की जानकारी नहीं है। मैं यह भी नहीं जानता कि मेरी सलाह मानी जाती या नहीं।

9 अगस्त को मणिपुर के इंफाल में मैतेई समुदाय की मीरा पाइबिस महिलाओं ने शांति बहाली की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।

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4. PMO में काम के दौरान कभी किसी बात पर निराश हुए?‌
भूमि अधिग्रहण के मामले में मैं किसानों के मन को पढ़ नहीं सका। मुझे सिर्फ कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए था। इससे पीएम को बहुत आश्चर्य हुआ था।

5. पीएमओ में ताकतवर कौन है- प्रधान सचिव या NSA?
मेरे समय में पीएमओ में ऐसी बात ही नहीं होती थी। हां, जाहिर सी बात है कि रक्षा और विदेश से जुड़े मामलों में एनएसए, पीएम के साथ ज्यादा समय बिताते हैं।

6. बजट पर किसका प्रभाव होता है- प्रधानमंत्री या वित्तमंत्री का?
प्रधानमंत्री का…। वे हमेशा आम आदमी के बारे में सोचते हैं।

7. नोटबंदी पर कभी अफसोस हुआ, क्या पुनर्विचार किया था?
नहीं… इस पर कभी दोबारा विचार नहीं किया गया।

9. राम मंदिर का निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा?
सरकार चाहती है कि काम 2024 के चुनावों से पहले पूरा हो जाए। मेरा मानना है यह राजनीतिक काम नहीं है। पूरी तरह से प्रशासनिक काम है। नियमों के अनुसार चल रहा है; समय बांटा, निर्णय लिए, अब काम दिखेगा।

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का डिजाइन ऐसा होगा।

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