भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की वार्ता! इन मुद्दों पर हुई चर्चा

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध बना हुआ है. ऐसे में दोनों देशों के बीच डीबीओ और चुशूल में मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई. 

सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि दोनों पक्षों के बीच 13-14 अगस्त को कोर कमांडर वार्ता के बाद यह मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई है.  दोनों पक्षों के बीच यह वार्ता नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक से पहले हुई.

भारत डेपसांग प्लेन्स और सीएनए जंक्शन पर सीमा मुद्दों को सुलझाना चाहता है. इन दोनों स्थानों पर भारतीय पक्ष की ओर से मेजर जनरल पीके मिश्रा त्रिशूल डिविजन से और मेजर जनरल हरिहरन यूनिफॉर्म फोर्स की ओर से कमांडिंग कर रहे हैं.

दोनों देशों के बीच 19वें दौर की कॉर्प्स कमांडर वार्ता मोदी सरकार के कड़े प्रयासों के बाद हुई. एनएसए अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री यांग यी के साथ व्यापक बातचीत की थी, जिसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता हुई थी.

बयान में कहा गया था कि दोनों पक्ष सीमावर्ती मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने, सैन्य एवं राजनयिक माध्यम से बातचीत की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए. 

बता दें कि विदेश मंत्रालय ने चीन के साथ सैन्य बातचीत पर 15 अगस्त को कहा था कि दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर बाकी मुद्दों के समाधान पर गहन चर्चा हुई. दोनों पक्ष इन मुद्दों को हल करने पर सहमत हुए. भारतीय और चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से ज्यादा समय से आमने-सामने की स्थिति में हैं.

इससे पहले 19वें स्तर की हुई थी वार्ता

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच हाल ही में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल की 19वें राउंड की बैठक हुई थी. ये बैठक 13 और 14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो में आयोजित की गई थी. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में LAC पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक और लंबी चर्चा हुई थी. दोनों देशों ने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया और शांति बनाए रखने पर जोर दिया.

बता दें कि दोनों देशों के बीच साढ़े तीन साल से बॉर्डर पर गतिरोध देखने को मिल रहा है. इसी सैन्य गतिरोध का हल निकालने के लिए बैठकें आयोजित की जा रही हैं. वार्ता के समापन के एक दिन बाद मंगलवार को संयुक्त बयान जारी किया गया है. दोनों पक्षों ने शेष मुद्दों को शीघ्र हल करने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए बातचीत को बनाए रखने पर सहमति जताई है. दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए हैं.

‘ब्रिक्स समिट में मोदी और जिनिपिंग लेंगे हिस्सा’

यह सैन्य वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने से पहले हुई. दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाली ब्रिक्स समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे. वहां दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष की मुलाकात भी होगी.

‘भारत और चीनी सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति’

भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर टकराव की स्थिति है. दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-मुख्यालय 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने किया. जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया.

23 अप्रैल को हुई सैन्य वार्ता के 18वें दौर में भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की वकालत की थी. 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जोहान्सबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के मौके पर शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है.

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