नई दिल्लीएक दिन पहले
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CJI ने कहा कि आपको नहीं पता संविधान बेंच किन मामलों पर सुनवाई करती है। ये मामले इतने पेचीदा होते हैं कि अक्सर संविधान की व्याख्या करनी पड़ती है। (CJI डीवाई चंद्रचूड़ फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को मेल कर कहा था कि अदालत को संवैधानिक मामलों (जिन मामलों पर संविधान पीठ सुनवाई करती है) के बजाय सामान्य मामलों पर सुनवाई करनी चाहिए। जिस पर CJI ने शुक्रवार यानी 15 सितंबर को असहमति जताई।
चीफ जस्टिस को मेल करने वाले एडवोकेट मैथ्यूज जे. नेदुमपारा शुक्रवार को एक मामले में सुनवाई के लिए CJI, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने पेश हुए थे। सुनवाई पूरी होने के बाद CJI ने कहा- मेरे सेक्रेटरी जनरल ने आपका वो शिकायती ईमेल दिखाया। जिसमें आपने कहा था कि संविधान बेंच की ओर से सुने जाने वाले मामलों को बेकार बताया था।
जवाब में मैथ्यूज ने कहा- बिल्कुल, सुप्रीम कोर्ट को आम आदमी के मामलों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस पर CJI ने कहा कि मैं बस आपको यह बताना चाहता था कि आपको नहीं पता संविधान बेंच किन मामलों पर सुनवाई करती है। ये मामले इतने पेचीदा होते हैं कि अक्सर संविधान की व्याख्या करनी पड़ती है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं का जिक्र किया। CJI बोले- क्या इस मामले पर सुनवाई जरूरी नहीं है, मुझे नहीं लगता कि जो आप महसूस करते हैं सरकार या याचिकाकर्ता भी वैसा ही महसूस करते होंगे। संविधान बेंच के मामले कई बार संविधान की व्याख्या से भी आगे चले जाते हैं।

CJI ने यह टिप्पणी आर्टिकल 370 से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान की थी।
कोर्ट ने ड्राइवरों के रोजगार का मुद्दा उठाया
CJI ने देशभर के ड्राइवरों के रोजगार से जुड़े एक मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों का न सिर्फ समाज पर प्रभाव पड़ता है बल्कि इससे हजारों लोगों का रोजगार भी जुड़ा होता है। मामले की सुनवाई के दौरान अगर आप कोर्ट में होते तो आपको पूरा मामला समझ आता। मामले में सवाल यह था कि किसी व्यक्ति के पास हल्के वाहन का लाइसेंस है तो क्या कॉमर्शियल गाड़ी चला सकता है?
एडवोकेट मैथ्यूज ने कहा कि मैं लोगों के मौलिक अधिकारों से जुड़े मामलों की सुनवाई के खिलाफ नहीं हूं। मैं कोर्ट में दाखिल उन याचिकाओं की सुनवाई के खिलाफ हूं जो लोग जनता के हितों की आड़ में अपने स्वार्थ के लिए लगाते हैं। ऐसे मामलों पर सुनवाई करने से पहले कोर्ट को जनता की राय जरूर जान लेनी चाहिए। CJI ने कहा कि यहां भी आप गलत हैं। आर्टिकल 370 से जुड़े मामले में भी घाटी के लोगों ने याचिकाएं दाखिल कीं। इसलिए हम राष्ट्र की आवाज ही सुन रहे हैं।
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जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ दाखिल की गई 23 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों तक मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने मामले की सुनवाई की, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। पढ़ें पूरी खबर…