भास्कर एक्सक्लूसिवजिंदा है खालिस्तानी आतंकी पन्नू:अमेरिका में मौत की खबर गलत, भास्कर से बोला- पंजाब से भारत का कब्जा हटवाएंगे
नई दिल्ली/अमृतसर19 घंटे पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा
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गुरपतवंत सिंह पन्नू का यह वीडियो वायरल है। इसमें दावा किया जा रहा है कि उसकी मौत नहीं हुई है और यह वीडियो 5 जुलाई का है।
खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू जिंदा है। उसने गुरुवार को भास्कर से बात की। पन्नू ने कहा कि मैं जानता हूं कि भारत की सरकार मौजूदा हालात से कितनी निराश है। गुरु की कृपा से हम पंजाब को भारत के कब्जे से छुड़ा लेंगे। खालिस्तान रेफरेंडम का अपना शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रखेंगे।
बुधवार को खबर आई थी कि भारत के वांटेड आतंकी पन्नू की अमेरिका में एक्सीडेंट में मौत हो गई है। कुछ रिपोर्ट्स में एक फोटो भी दी गई, जिसमें एक कार और ट्रक के बीच टक्कर हुई थी। इसे पन्नू के एक्सीडेंट की बताई गई थी। भास्कर ने इस मुद्दे पर दिल्ली में ऑफिशियल सोर्स से बात की। उन्होंने भी पन्नू के जिंदा होने की पुष्टि की है।

पिछले कुछ महीनों में अलग-अलग देशों में तीन खालिस्तानी नेताओं के मर्डर या संदिग्ध मौत हुई है। खालिस्तान समर्थक संगठन इसके पीछे भारत की खुफिया एजेंसियों का हाथ बताते हैं। पन्नू की मौत की खबर के बाद भी इसके लिए भारतीय एजेंसियों को जिम्मेदार बताया गया। हालांकि अब तय हो गया है कि पन्नू जिंदा है।
2.19 मिनट के वीडियो में पन्नू ने कही खास बातें
पन्नू ने भास्कर के साथ एक वीडियो भी शेयर किया। बताया कि ये वीडियो 5 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय के बाहर रिकॉर्ड किया था।
पन्नू ने इस वीडियो में कहा कि कनाडा में मारे गए खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर के पीछे भारतीय अधिकारियों का हाथ है। इसी वीडियो में कहा कि खालिस्तानी रेफरेंडम’ का तीसरा फेज 16 जुलाई को टोरंटो और 10 सितंबर को वैंकूवर में होगा।
2019 में भारत सरकार ने सिख फॉर जस्टिस को आतंकी संगठन घोषित किया था
सिख फॉर जस्टिस को भारत सरकार ने 10 जुलाई 2019 में UAPA कानून के तहत आतंकी संगठन घोषित किया था। उसके एक साल बाद पन्नू को 1 जुलाई 2020 में आतंकी घोषित किया गया।
भारतीय खुफिया एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने भास्कर को बताया कि खालिस्तान समर्थक संगठनों को कनाडा के बड़ा पॉलिटिकल तबका सहयोग करता है। ये लोग भारत और कनाडा रिश्तों पर निगेटिव असर डालना चाहते है और इसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हो रहे हैं।
सिख फॉर जस्टिस और उसके जैसे बाकी संगठनों का जितना असर सोशल मीडिया पर है, उसका शायद 10% भी जमीन पर नहीं है। ये भी सच है कि उन्होंने खालिस्तान शब्द को बड़ा मुद्दा तो बना दिया है।
एस. जयशंकर ने कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को आगाह किया था
तीन जुलाई को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को आगाह किया था कि अगर ये देश खालिस्तानी नेताओं और संगठनों को अपनी देश में पनपने देते रहेंगे, तो इसका बुरा असर आपसी रिश्तों पर पड़ेगा।
जयशंकर की नाराजगी पर बात विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारत के सब्र का बांध धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है। कुछ दिन पहले भारत विरोधी बड़ा इवेंट ओंटारिओ में हुआ था। इसमें लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर खुशी जता रहे थे।
इसके बाद कनाडा में रह रहे भारतीय अधिकारियों को जान से मारने की धमकी दी गई। कुछ दिन पहले सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास में आग लगा दी गई थी। ऐसा ही लंदन के दूतावास पर भी हुआ था। ये सब दिनदहाड़े हुआ और खालिस्तानी संगठनों ने खुलेआम इसकी जिम्मेदारी ली। ये चीजें कोई भी देश कब तक सहन कर सकता है?