युवा चीतों के लिए नए माहौल में ढलना आसान:रिपोर्ट में दावा- कम एग्रेशन दिखाते हैं; इनमें आपसी लड़ाई का खतरा कम
श्योपुर3 दिन पहले
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीते अगर माहौल में ढल जाएं तो उन्हें रेडियो कॉलर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। रेडियो कॉलर के कारण इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से लाए गए चीतों की मौतों को लेकर प्रोजेक्ट चीता में शामिल दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट्स ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें सुझाव दिया गया है कि भारत में युवा चीतों को लाया जाना चाहिए। इन्हें नए माहौल में ढालना आसान है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि युवा चीते कम एग्रेशन दिखाते हैं। इससे इनमें आपसी लड़ाई का खतरा कम है। उन्हें मैनेजमेंट की गाड़ियों की आवाजाही और इंसानों की आसपास मौजूदगी की आदत भी जल्दी लग जाती है। वे उनसे डरते नहीं है। इससे उनकी हेल्थ की निगरानी और प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है।
यह सब हो पाए तो उन्हें निगरानी के लिए रेडियो कॉलर पहनाने की भी जरूरत नहीं है। दरअसल, अफ्रीकी चीता मेटापॉपुलेशन विशेषज्ञ विंसेंट वान डेर मेरवे ने कहा था कि गले में पहनाए गए रेडियो कॉलर से हुए इन्फेक्शन से चीतों की मौत हुई है।
उनका कहना था कि रेडियो कॉलर के कारण गर्दन के आसपास नमी बन गई और बैक्टीरिया पैदा हो गए। इस कारण चीतों को सेप्टीसीमिया हो गया जिससे उनकी मौत हो गई। 26 मार्च से अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है। इनमें तीन शावक भी शामिल हैं, जिनका जन्म कूनो में हुआ था।

अभी कूनो नेशनल पार्क में 14 चीते (7 नर, 6 मादा और 1 शावक) स्वस्थ हैं।
युवा चीतों की जिंदा रहने की दर ज्यादा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बूढ़े चीतों की तुलना में युवा चीतों के जिंदा रहने की दर ज्यादा होती है। युवा चीते अच्छी प्रजनन क्षमता रखते हैं। एक्सपर्ट्स ने 19 से 36 महीने की उम्र के 10 युवा चीतों को भी शॉर्टलिस्ट किया है, जिन्हें 2024 की शुरुआत में भारत में रीलोकेट कराया जा सकता है।
रिपोर्ट में ‘सुपरमॉम्स’ के बारे में भी बताया गया है। सुपरमॉम्स ज्यादा फिट और फर्टाइल मादा चीते हैं, जो दक्षिणी अफ्रीका के जंगली चीतों की आबादी को बनाए रखती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत में लाई गई सात जंगली मादाओं में से केवल एक के सुपरमॉम होने की संभावना है।
उनका दावा है कि अगले 10 सालों में दक्षिण अफ्रीकी आबादी से कम से कम 50 और चीतों को लाना भारतीय आबादी को स्थिर करने के लिए जरूरी है। एक्सपर्ट्स ने रिपोर्ट में साउथ अफ्रीका में चीतों के रहने लायक माहौल बनाने का भी जिक्र किया है।
उन्होंने बताया कि हमें यहां 26 साल लग गए। इस दौरान 279 चीतों की मौत हुई। ऐसे में हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि भारत सिर्फ 20 चीतों के साथ ऐसा कर सकता है। यहां पर भी समय लगेगा।
चीतों में फर की मोटी परत को भी मौत का कारण बताया गया
2 अगस्त को प्रोजेक्ट चीता में शामिल इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स ने बताया था कि साउथ अफ्रीका की सर्दी से निपटने के लिए चीतों में बालों (फर) की मोटी परत बनती है। भारत की गीली और गर्म कंडीशंस में यही चीतों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। पूरी खबर पढ़ें…

14 जुलाई 2023 को मेल चीता सूरज की मौत हुई थी।
अब तक 9 चीतों की मौत
कूनो नेशनल पार्क में 1 अगस्त को मादा चीता धात्री (टिबलिसी) की मौत हुई थी। अभी कूनो नेशनल पार्क में 14 चीते (7 नर, 6 मादा और 1 शावक) स्वस्थ हैं। इनके अलावा एक मादा खुले जंगल में घूम रही है। पूरी खबर पढ़ें…
चीतों की मौत कब-कब हुई
26 मार्च 2023: साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत
नामीबिया से लाई गई 4 साल की मादा चीता साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत हो गई। वन विभाग ने बताया कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था। इससे ये पुष्टि होती है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में लाने से पहले ही थी। साशा की मौत के बाद चीतों की संख्या घटकर 19 रह गई।
27 मार्च 2023: ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया
नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इसके साथ ही कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 23 हो गई।

मादा चीता ज्वाला के 4 शावकों की यह तस्वीर कूनो नेशनल पार्क ने जारी की थी।
23 अप्रैल 2023: नर चीता उदय की दिल के दौरे से मौत
साउथ अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की मौत हो गई। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया कि चीता उदय की मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने से हुई। मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान ने बताया कि हृदय धमनी में रक्त संचार रुकने के कारण चीते की मौत हुई। यह भी एक प्रकार का हार्ट अटैक है। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 22 रह गई।

यह वीडियो कूनो नेशनल पार्क का है। नर चीता उदय चलते-चलते गिर जाता है। इसी के बाद इसकी मौत हो जाती है
9 मई 2023: मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत
दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था। जेएस चौहान ने बताया कि मेल चीते को दक्षा के बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था। मेटिंग के दौरान ही दोनों में हिंसक इंटरैक्शन हो गया। मेल चीते ने पंजा मारकर दक्षा को घायल कर दिया था। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 21 रह गई।
23 मई 2023: ज्वाला के एक शावक की मौत
मादा चीते ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई। जेएस चौहान ने बताया कि ये शावक जंगली परिस्थितियों में रह रहे थे। 23 मई को श्योपुर में भीषण गर्मी थी। तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस था। दिनभर गर्म हवा और लू चलती रही। ऐसे में ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी इसकी मौत की वजह हो सकती है। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 20 रह गई।
25 मई 2023: ज्वाला के दो और शावकों की मौत
पहले शावक की मौत के बाद तीन अन्य को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया था। इनमें से दो और की मौत हो गई। अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होने की बात सामने आई है। एकमात्र बचे शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इसके बाद कूनो में एक शावक सहित अब 18 चीते ही बचे हैं।
11 जुलाई 2023: मेल चीता तेजस की मौत
चीते तेजस की मौत हो गई। उसकी गर्दन पर घाव था, जिसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि चीतों के आपसी संघर्ष में तेजस की जान गई है।
14 जुलाई 2023: मेल चीता सूरज की मौत
चीते सूरत की गर्दन पर घाव मिला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि चीतों के आपसी संघर्ष में तेजस की जान गई है।
2 अगस्त 2023: मादा चीता टिबलिसी की मौत
टिबलिस घने जंगल में मृत मिली।

चीतों के बच्चे बड़ी मुश्किल से बचते हैं। ये इस जानवर के विलुप्त होने की बड़ी वजह है। मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान बताते हैं कि चीता शावकों के जंगल में जीवित रहने की संभावना 10-20% ही होती है।
