नई दिल्ली4 दिन पहले
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इसरो ने आदित्य L-1 स्पेसक्राफ्ट की तस्वीरें शेयर की हैं।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) चांद के बाद अब सूरज की स्टडी करने की तैयारी में है। इसके लिए आदित्य L-1 नाम की ऑब्जर्वेटरी को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसकी लॉन्चिंग की तारीख अभी सामने नहीं आई है, लेकिन न्यूज एजेंसी ने इसरो के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि इसे सितंबर के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जा सकता है।
आदित्य L-1 सूरज का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन होगा। ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च के चार महीने बाद सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 (L-1) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है।
आदित्य L-1 की तस्वीरें…

आदित्य L-1 स्पेसक्राफ्ट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।

आदित्य L-1 ऑब्जर्वेटरी को बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है। यहां से यह श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सेंटर में पहुंच चुका है।

आदित्य L-1 काे पहले लो अर्थ ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इसके बाद इसे इलिप्टिकल ऑर्बिट (अंडाकार कक्षा) में भेजा जाएगा।

बाद में ऑब्जर्वेटरी की कक्षा को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा, जिससे स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के ग्रैविटेशनल स्फियर ऑफ इन्फ्लुएंस (SOI) से बाहर निकलेगा।

यहां से क्रूज फेज शुरू होगा और स्पेसक्राफ्ट को सूर्य के पास स्थित लैगरेंज पॉइंट (L-1) के हैलो ऑर्बिट में भेजा जाएगा। L-1 पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।

लॉन्चिंग से L-1 पॉइंट तक पहुंचने में आदित्य L-1 को करीब चार महीने का समय लगेगा। लॉन्चिंग डेट अभी तय नहीं की गई है।
पृथ्वी से लैगरेंज पॉइंट की दूरी 15 लाख किमी
पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किमी है। जहां इस सैटलाइट आदित्य L-1 को प्लेस किया जाएगा वो लैगरेंज पॉइंट L-1 धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इस ऑब्जर्वेटरी को बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है। यहां से इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर लाया गया है।

आदित्य L-1 पृथ्वी से L-1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए इस ट्रैजेक्टरी पर चलेगा।
ऐसे काम करेगा आदित्य L-1
- सोलर एक्टिविटीज और रियल टाइम में अंतरिक्ष के मौसम पर उनके असर को समझा जा सकेगा।
- ये स्पेसक्राफ्ट सात पेलोड लेकर जाएगा जो इलेक्ट्रोमैग्नेट और पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर और सूरज की बाहरी परतों की स्टडी करेंगे।
- L-1 पॉइंट से चार पेलोड सीधे सूरज को देखेंगे और तीन पेलोड वहीं पर पार्टिकल्स और फील्ड की स्टडी करेंगे।
- आदित्य L-1 सोलर कोरोना और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा।

आदित्य L-1 को तस्वीर में दिखाए गए L-1 पॉइंट पर प्लेस किया जाएगा।
क्या है लैगरेंज पॉइंट्स
- लैगरेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वो जगह होती है जहां किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाए तो वो वहीं रहता है।
- लैगरेंज पॉइंट पर दो बड़ी बॉडीज के बीच गुरुत्वाकर्षण उतना ही होता है जितना उन दोनों बॉडीज के बीच मौजूद छोटे ऑब्जेक्टस को मूव करने के लिए सेंट्रिपिटल फोर्स की जरूरत होती है।
- लैगरेंज-1 पॉइंट पर प्लेस की जाने वाली सैटेलाइट के पास सबसे बड़ा एडवांटेज ये होता है कि यहां ग्रहण का असर नहीं होता। सैटेलाइट यहां से बिना किसी रुकावट के लगातार सूरज का अध्ययन कर सकता है।
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