नई दिल्ली2 महीने पहले
- कॉपी लिंक

सूडान में लड़ाई के बीच से निकाले गए 365 भारतीय दिल्ली लौट आए हैं। इन्हें पहले पोर्ट सूडान सऊदी से अरब के जेद्दाह ले जाया गया था। ये सूडान से बचाए गए भारतीयों का छठा बैच है। इसके अलावा शनिवार सुबह 231 भारतीयों के साथ एक और विमान नई दिल्ली पहुंचा था। वहीं 229 भारतीयों के साथ एक विमान बेंगलुरु के लिए रवाना हो चुका है। साथ ही INS तेग से 288 भारतीयों के 14वें बैच को जेद्दाह के लिए रवाना किया गया है।
शुक्रवार रात भारतीय वायुसेना ने युद्ध में धधक रहे सूडान की जमीन पर उतरकर अपनी तरह का पहला ऑपरेशन चलाया है। गरुड़ कमांडो की सुरक्षा में C-130J सुपर हर्क्यूलिस विमान रात में सूडान की एक जर्जर हवाई पट्टी पर उतारा गया। वहां से 121 भारतीयों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित जेद्दाह पहुंचाया गया। घना अंधेरा होने की वजह से पायलट्स ने नाइट विजन गॉगल्स की मदद से यहां विमान को लैंड कराया।

तस्वीर सऊदी अरब के जेद्दाह से नई दिल्ली के लिए रवाना हुए भारतीय लोगों की है।
वायुसेना के अफसर ने दी जानकारी
वायुसेना के अफसर ने बताया कि यह साहसिक ऑपरेशन 27-28 अप्रैल की रात को चलाया गया था। जानकारी मिली थी कि खार्तूम से सिर्फ 40 किमी दूर वादी सयीदिना हवाई पटटी के पास भारतीय नागरिक जमा हैं। इनमें एक गर्भवती और कुछ बीमार लोग हैं। लैंडिंग और टेक ऑफ में ढाई घंटे का समय लगा, इस दौरान 8 गरुड कमांडो लोगों के चारों तरफ सुरक्षा घेरा बनाकर खड़े रहे।
गरुड़ कमांडो की सुरक्षा में C-130J सुपर हर्क्यूलिस विमान रात में सूडान की एक जर्जर हवाई पट्टी पर उतारा गया। वहां से 121 भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया।
कैप्टन रवि नंदा के नेतृत्व में चला ऑपरेशन
डिफेंस अधिकारियों ने बताया कि C-130J सुपर हर्क्यूलिस विमान के कैप्टन रवि नंदा हैं। उनके ही नेतृत्व में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। रवि इससे पहले भी पिछले साल अफगानिस्तान से भारतीयों को निकालने के लिए चलाए गए ऑपरेशन का हिस्सा थे। तब उन्हें गैलेंटरी मेडल से सम्मानित भी किया गया था।

तस्वीर IAF के C-130J सुपर हर्क्यूलिस विमान के पायलट की है।
बेहद खराब हालत में था वादी सयीदिना रनवे
दरअसल, खार्तूम से इन भारतीयों को भारत के रक्षा सैन्य सलाहकार लेकर आ रहे थे। उन्होंने विमान के कमांडर से लगातार संपर्क बनाए रखा। उनके पहुंचते ही सभी को एयरलिफ्ट कर लिया गया। सूडान के वादी सयीदिना में बना रनवे बेहद खराब हालत में था। यहां न तो नेविगेशन में मदद करने के लिए कोई मौजूद था, न फ्यूल का प्रबंध था और न ही लाइट लगी थीं, जिनकी मदद से रात में विमान को लैंड कराया जा सके।
इसके बावजूद वायुसेना के पायलट इस हवाई पट्टी पर लैंडिंग कराने में सफल रही। रवने पर कहीं कोई रुकावट तो नहीं है, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इंफ्रा रेड सेंसर की मदद ली। ढाई घंटे तक हवाई पट्टी वायुसेना के कब्जे में रखी गई।
युद्ध की वजह से ये लोग बंदरगाह नहीं पहुंच पा रहे थे
अफसर ने बताया कि युद्ध की वजह से ये लोग बंदरगाह नहीं पहुंच पा रहे थे, जहां से नौसेना के युद्धपोत भारतीयों को जेद्दा लेकर जा रहे हैं। मुसीबत में फंसे नागरिकों को देखते हुए वायु सेना ने तत्काल C-130J सुपर हर्क्यूलिस रवाना कर दिया। इस पूरे ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने नजर बनाए रखी।

शुक्रवार देर रात भारतीयों का 12वां बैच C-130J विमान से जेद्दाह पहुंचा।
RSF लीडर ने कहा- पहले बमबारी रुके फिर होगी बातचीत
सूडान में मिलिट्री-पैरामिलिट्री में जारी जंग के बीच RSF के चीफ जनरल मोहम्मद हमदान डागालो ने BBC से कहा- जब तक सेना की तरफ से बमबारी नहीं रुकेगी, हम उनसे कोई बातचीत नहीं करेंगे। सीजफायर के दौरान भी सेना लगातार हमारे सैनिकों पर हमले कर रही है। हम सूडान को तबाह नहीं करना चाहते हैं। आर्मी चीफ ईरानी लीडर्स के कहने पर फैसले ले रहे हैं।
अब तक 2400 भारतीयों को जेद्दाह पहुंचाया जा चुका है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने बताया कि शुक्रवार रात 135 भारतीयों का 12वां बैच C-130J विमान से सूडान से जेद्दाह पहुंच गया। वहीं सूडान में तैनात INS सुमेधा ऑपरेशन कावेरी के तहत 300 भारतीयों के 13वें बैच को लेकर रवाना हो गया है। यानी अब तक कुल 2100 भारतीयों को सूडान से जेद्दाह पहुंचाया गया है।
शुक्रवार सुबह 8वें बैच के जेद्दाह पहुंचने पर विदेश राज्य मंत्री ने भारतीयों से मुलाकात की।
कुल 1600 भारतीय नागरिकों को देश वापस लाया जा चुका
अब तक कुल 1600 भारतीय नागरिकों को देश वापस लाया जा चुका है। शनिवार सुबह 231 भारतीयों के साथ एक और विमान नई दिल्ली पहुंचा था। इससे पहले शुक्रवार को हमारे कुल 754 नागरिक भारत पहुंचे। इनमें से 362 बेंगलुरु पहुंचे। इनके पहले 392 भारतीय एयरफोर्स के कार्गो एयरक्राफ्ट C-17 से नई पहुंचे। यह जानकारी विदेश मंत्रालय के हवाले से न्यूज एजेंसी ने दी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा- ऑपरेशन कावेरी के तहत 362 भारतीय बेंगलुरु पहुंच चुके हैं। इन्हें सऊदी अरब के जेद्दाह से भारत लाया गया। वहां हमने ट्रांजिट कैम्प बनाया है।
ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीयों का रेस्क्यू जारी
इससे पहले गुरुवार को पोर्ट सूडान से जेद्दाह पहुंचे 7वें बैच में करीब 135 भारतीयों को रेस्क्यू किया गया। सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी चलाया गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन को नेवी के जहाज INS सुमेधा, तेग, तरकश और भारतीय वायु सेना के C-130J एयरक्राफ्ट के जरिए अंजाम दिया जा रहा है।
सूडान से पहले बैच में 278 लोगों को रेस्क्यू किया गया था। दूसरे और तीसरे बैच में 121 और 135 लोगों को निकाला गया। चौथे और पांचवें बैच में 136 और 297 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। वहीं गुरुवार सुबह छठे बैच में 128 लोगों को सूडान से जेद्दाह लाया गया।
तस्वीर में रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद लोग विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन के साथ सेल्फी लेते नजर आए।
6 पॉइंट्स में समझें सूडान में हिंसा की वजह…
- सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। सबसे पहले 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया।
- फिर अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर तख्तापलट कर दिया, लेकिन इसके बाद लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे।
- इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया।
- आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है।
- सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने हैं। RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है, जबकि आर्मी का कहना है कि ये 2 साल में ही लागू हो जाना चाहिए।
- सिविलियन रूल यानी चुनाव के जरिए सरकार बनाना। आर्मी के मुताबिक 2023 में चुनाव कराकर नई सरकार का गठन किया जाना चाहिए। वहीं, RSF अभी और 8 साल तक देश पर शासन करना चाहती है।
