डिफेंस से स्पेस तक, डिप्लोमेसी से H-1B वीजा तक… मोदी के अमेरिकी दौरे से भारत को क्या मिला?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बुलावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में हैं. पीएम मोदी पहली बार अमेरिका की स्टेट विजिट यानी राजकीय दौरे पर हैं.

पीएम मोदी का ये राजकीय दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है. उसकी कई वजहें हैं. पहली तो यही है कि पीएम मोदी का ये पहला राजकीय दौरा है और दूसरी कि मनमोहन सिंह के बाद वो दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जो स्टेट विजट पर गए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा इसलिए भी खास बन जाता है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच कई मामलों में जो सालों से विवाद थे, वो भी सुलझ गए हैं. भारत और अमेरिका के बीच वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में 6 विवाद थे. 

इनमें से एक विवाद इम्पोर्ट और कस्टम ड्यूटी से भी जुड़ा था. दरअसल, 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अमेरिका ने भारत से आने वाली स्टील पर 25% और एल्युमिनियम प्रोडक्ट पर 10% इम्पोर्ट ड्यूटी लगा दी थी. इसके जवाब में जून 2019 में भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी लगा दी थी. लेकिन अब इन्हें हटा दिया गया है. 

इसी तरह से अमेरिका के दौरे में भी प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच डिफेंस, स्पेस, ट्रेड और H-1B वीजा जैसे कई मुद्दों पर पहल हुई है. इससे भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलने की बात कही जा रही है.

पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का फुल कवरेज यहां देखें

किस क्षेत्र में क्या हुआ?

1. डिफेंसः जेट इंजन के उत्पादन पर समझौता

– भारत और अमेरिका के बीच लड़ाकू विमानों के इंजन मिलकर बनाने पर समझौता हुआ है. ये समझौता अमेरिका की GE एयरोस्पेस और भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच हुआ है.

– समझौते के तहत, दोनों कंपनियां मिलकर भारतीय लड़ाकू विमान LCA-MK-II यानी तेजस के इंजन बनाएंगी. GE एयरोस्पेस F414 इंजन बनाती है और यही इंजन अब तेजस विमान के लिए HAL के साथ मिलकर बनाएगी.

राष्ट्रपति बाइडेन, फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन और पीएम मोदी. (फोटो-PTI)

2. H-1B वीजाः भारतीयों के लिए आसान होगी प्रक्रिया

– पीएम मोदी के यात्रा के दौरान अमेरिका H-1B वीजा को रिन्यू करने की प्रक्रिया को और आसान करने की तैयारी कर रहा है. इसका फायदा उन लाखों भारतीयों को होगा, जो H-1B वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं.

– माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार H-1B वीजा की रिन्यू प्रक्रिया को और आसान करने वाला है. इसके बाद H-1B वीजा को रिन्यू करवाने के लिए भारतीय नागरिकों को भारत नहीं लौटना पड़ेगा.

– दरअसल, H-1B वीजा गैर-अप्रवासी वीजा है. ये अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की मंजूरी देता है. जब भी कोई व्यक्ति अमेरिकी कंपनी में नौकरी करता है तो उसे H-1B वीजा जारी किया जाता है.

– अब तक ये होता था कि अगर किसी व्यक्ति का H-1B वीजा एक्सपायर हो गया है तो उसे रिन्यू करवाने के लिए दोबारा अपने देश लौटना पड़ता था. लेकिन अब रिन्यू प्रक्रिया के लिए स्वदेश नहीं आना पड़ेगा. 

– अमेरिका में लाखों भारतीय काम कर रहे हैं. 2022 में अमेरिकी सरकार ने 4.42 लाख लोगों को H-1B वीजा जारी किया था. इनमें से 73 फीसदी भारतीय नागरिक थे.

3. ड्रोनः प्रीडेटर MQ-9 डील को मंजूरी

– प्रधानमंत्री मोदी के इस पहले राजकीय दौरे पर दोनों देशों के बीच प्रीडेटर डोन की खरीद की डील होने की उम्मीद है. ये डील तीन अरब डॉलर की होगी.

– ये एक आर्म्ड ड्रोन है. इस डील के होने से भारत की ताकत और बढ़ जाएगी. न सिर्फ हिंद महासागर में, बल्कि चीन के साथ लगने वाली सीमा की निगरानी करने में भी मदद मिलेगी.

– इस ड्रोन को अमेरिका की जनरल एटोमिक्स ने बनाया है. दावा है कि MQ-1 के मुकाबले MQ-9B 500 फीसदी ज्यादा पेलोड ले जाने में सक्षम है.

4. सेमीकंडक्टर मेनुफैक्चरिंगः 80 करोड़ डॉलर का होगा निवेश

– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी को भारत की सेमीकंडक्टर मेनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया है. साथ ही उन्होंने सप्लाई चेन के लिए एप्लाइड मटैरियल्स को भी इनवाइट किया है.

– इसके बाद माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने भारत की सेमीकंडक्टर मेनुफैक्चरिंग में 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही माइक्रोन टेक्नोलॉजी गुजरात में सेमीकंडक्टर की फैक्ट्री भी लगाएगी. ये भारत की पहली फैक्ट्री होगी.

– माइक्रोन टेक्नोलॉजी के अलावा एप्लाइड मटैरियल्स ने भी सेमीकंडक्टर की सप्लाई के लिए भारत में एक सेंटर बनाने का ऐलान किया है.

– इन दोनों के अलावा, अमेरिका की Lam रिसर्च भारत में 60 हजार से ज्यादा इंजीनियरों को सेमीकंडक्टर से जुड़े कामों के लिए ट्रेन्ड करेगी.

अमेरिकी संसद में संबोधन के दौरान पीएम मोदी. (फोटो- PTI)

5. स्पेसः ISS में जाएगा भारतीय एस्ट्रोनॉट

– भारत और अमेरिका स्पेस यानी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी मिलकर काम कर रहे हैं. 2024 तक अमेरिका की मदद से एक भारतीय एस्ट्रोनॉट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा.

– भारत ने आर्टेमिस समझौते में शामिल होने का भी फैसला लिया है. इसका मकसद सिविल स्पेस को बढ़ावा देना है. इसके अलावा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो भी 2024 में ISS के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं.

– 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी पर आधार आर्टेमिस समझौता 21वीं सदी में सिविल स्पेस को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. इसकी अगुवाई अमेरिका कर रहा है. इसके तहत 2025 तक इंसानों को चांद पर भेजने का मिशन भी है. इसके बाद मंगल और बाकी दूसरे ग्रहों पर भी इंसानों को भेजा जाएगा.

6. डिप्लोमेसीः भारत में दो कॉन्सुलेट खोलेगा अमेरिका

– अमेरिका ने भारत में दो नए कॉन्सुलेट खोलने का ऐलान किया है. ये कॉन्सुलेट बेंगलुरु और मुंबई में खोले जाएंगे.

– भारत ने भी अमेरिका में एक मिशन खोलने का फैसला लिया है. पीपुल-टू-पीपुल रिलेशनशिप को बढ़ावा देने के लिए भारत अमेरिका के सिएटल में एक मिशन खोलेगा.

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