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दिल्ली सरकार के अधिकारों पर केंद्र का अध्यादेश जारी:ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे
नई दिल्लीएक महीने पहले
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अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन करेगी। ये अथॉरिटी ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस जैसे मैटर्स पर फैसले लेगी और LG को सिफारिशें भेजेंगी।
केंद्र सरकार ने राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस से जुड़े अधिकारों को लेकर एक अध्यादेश जारी किया है। इसके जरिए केंद्र सरकार नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन करेगी। इस अथॉरिटी में दिल्ली CM, मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव होंगे। ये अथॉरिटी ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस जैसे मैटर्स में फैसले लेगी और LG को सिफारिशें भेजेंगी।
उपराज्यपाल इन सिफारिशों के आधार पर ऑर्डर पास करेंगे। अगर LG इनसे सहमत नहीं होंगे, तो वे इसे वापस भी लौटा सकेंगे। मतभेद होने की स्थिति में LG का फैसला फाइनल होगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की पावर दिल्ली सरकार के पास रहेगी। केंद्र ने अध्यादेश के जरिए कोर्ट का फैसला पलट दिया है। बाद में संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा। इससे पहले, शुक्रवार शाम अरविंद केजरीवाल ने आशंका जताई थी कि केंद्र सरकार ऐसा अध्यादेश लाने वाली है। रात तक केजरीवाल की आशंका सच साबित हो गई।
अब देखिए केजरीवाल का शुक्रवार शाम का ट्वीट..

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर केंद्र सरकार और LG पर सवाल उठाए थे।
सर्विस सेक्रेटरी की ट्रांसफर फाइल LG ने अप्रूव की
अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को सर्विस सेक्रेटरी के ट्रांसफर को लेकर LG विनय सक्सेना से मिलने पहुंचे। जिसके बाद LG ने सर्विस सेक्रेटरी की ट्रांसफर की फाइल पर सहमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे का ट्रांसफर कर दिया था।

शुक्रवार को ट्रांसफर फाइल के अप्रूवल पर चर्चा के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री उपराज्यपाल से मिलने पहुंचे थे।
SC ने लगाई थी LG को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को DERC चेयरपर्सन की नियुक्ति में देरी को लेकर LG विनय सक्सेना को फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल इस तरह सरकार का अपमान नहीं कर सकते हैं।
दरअसल, LG ने दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) के चेयरपर्सन की नियुक्ति के प्रस्ताव को सहमति नहीं दी थी। इसके बाद दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। कोर्ट ने LG से इस मामले में दो हफ्ते में फैसला लेने के लिए कहा है।
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त करना चाहती है दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार एमपी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव को DERC का चेयरपर्सन बनाना चाहती है। इसके लिए सरकार ने 5 महीने पहले प्रस्ताव LG के पास भेजा था। दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि LG इस प्रस्ताव को टाल रहे हैं। वे इस मामले में कानूनी सलाह लेने की बात कह रहे हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 के सेक्शन 84(2) के तहत राज्य सरकार हाईकोर्ट के किसी भी जज को इस पद पर नियुक्त कर सकती है। हालांकि, इसके लिए चुने गए जज जिस हाईकोर्ट में रहे हों उसके चीफ जस्टिस से सलाह लेनी होगी। इस मामले में दिल्ली सरकार ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सहमति ले ली है।
अध्यादेश क्या होता है?
जब संसद या विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो तो केंद्र और राज्य सरकार तात्कालिक जरूरतों के आधार पर राष्ट्रपति या राज्यपाल की अनुमति से अध्यादेश जारी करती हैं। इसमें संसद/विधानसभा द्वारा पारित कानून जैसी शक्तियां होती हैं।
अध्यादेश को छह महीने के अंदर संसद या राज्य विधानसभा के अगले सत्र में सदन में पेश करना अनिवार्य होता है। अगर सदन उस विधेयक को पारित कर दे तो यह कानून बन जाता है। जबकि तय समय में सदन से पारित नहीं होने पर यह समाप्त हो जाता है। लेकिन सरकार एक ही अध्यादेश को बार-बार भी जारी कर सकती हैं।
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