ओडिशा के बालासोर में हाल ही में हुए भीषण रेल हादसे में सबको झकझोर दिया है. इस भीषण हादसे ने एक तरफ जहां रेलवे की सुरक्षित यात्रा पर सवालिया निशान खड़े किए हैं. वहीं, दूसरी तरफ ट्रेन के जनरल डिब्बे में यात्रियों की जबरदस्त भीड़ और रेलवे द्वारा यात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के दावों की भी पोल खोल दी है.
उमस और गर्मी के बीच ट्रेनों के जनरल डिब्बों में लोग भारी भीड़ में यात्रा करने को मजबूर हैं. आजतक संवाददाता ने दिल्ली हावड़ा रेल रूट के सर्वाधिक व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में शुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर पहुंचने वाली कुछ ट्रेनों के जनरल डिब्बों का हाल जाना.
दीक्षाभूमि एक्सप्रेस में यात्रियों का बुरा हाल
धनबाद से कोल्हापुर जाने वाली दीक्षाभूमि एक्सप्रेस के जनरल कोच में यात्रियों की ऐसी भीड़ देखने को मिली कि लोग घास-भूसे की तरह भरे हुए दिखाई दिए. कुछ पैसेंजर्स ट्रेन के दरवाजे के पास बैठने को मजबूर दिखाई दिए तो वहीं, कुछ यात्रियों को कोच के गलियारे में ही जगह मिल पाई है. आखिर मंजिल तक पहुंचने के लिए यात्री करें तो करें क्या?
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दीक्षाभूमि एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में यात्रा करने वाले असलम और अजय नाम के यात्रियों ने बताया कि बिहार से कोल्हापुर की तरफ जाने वाली ट्रेनों की संख्या काफी कम है, जिसकी वजह से ट्रेनों में सीट नहीं मिल रही और यात्रियों की भारी भीड़ है. गर्मी और उमस के बीच जनरल डिब्बे में सफर करना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है.
ब्रह्मपुत्र मेल के जनरल कोच में यात्री बेहाल
दीक्षाभूमि एक्सप्रेस के जनरल डिब्बों के हालात के बाद अब जरा कामाख्या से दिल्ली जा रही ब्रह्मपुत्र मेल पर जनरल डिब्बे का अभी हाल जान लीजिए. इस ट्रेन के जनरल डिब्बों का भी वही हाल दिखाई दिया जो दीक्षाभूमि एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे का था. कोई गलियारे में बैठा है तो किसी यात्री को कोच के दरवाजे पर ही जगह मिल पाई. यात्रियों ने बताया कि एक-एक सीट पर 8-8 लोग बैठे हैं और गर्मी और भीषण उमस में सफर करना मुश्किल ही नहीं बल्कि मुसीबत कम नहीं है.
ब्रह्मपुत्र मेल के जनरल डिब्बे में सफर कर रहे गोविंद ऋषि को मालदा टाउन से दिल्ली जाना था. उन्होंने जनरल टिकट लिया लेकिन इनको सीट तक मयस्सर नहीं हुई. जिसकी वजह से वह दरवाजे के पास बैठकर सफर करने पर मजबूर दिखे. उन्होंने बताया कि गर्मी के बीच इस तरह से सफर करना जानलेवा साबित हो सकता है. लेकिन मजबूरी है कि आज ही दिल्ली पहुंचना है.
वहीं, एक दूसरे यात्री ने बताया कि दो महीने पहले भी टिकट नहीं मिल रहा है. मजबूरी में जनरल डिब्बे में यात्रा करना मजबूरी है. ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि सामान रखने की भी जगह नहीं मिल रही है.