- Hindi News
- National
- The Party Will Support In Parliament; Consensus Made After Nitish’s Meeting With Kharge
दिल्ली सरकार के अधिकारों पर कांग्रेस केजरीवाल के साथ:संसद में अध्यादेश का विरोध करेगी; नीतीश ने खड़गे-राहुल को राजी किया
नई दिल्लीएक महीने पहले
- कॉपी लिंक

नीतीश कुमार ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की।
आम आदमी पार्टी को दिल्ली के अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन मिला है। इसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें मनाया है।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी। हालांकि पार्टी प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि अंतिम फैसला समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत के बाद ही लिया जाएगा।
केंद्र सरकार यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद लाई है, जिसमें कहा गया था कि चुनी हुई सरकार ही दिल्ली की बॉस है। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह पर काम करना चाहिए।
नीतीश कुमार कर चुके हैं AAP का समर्थन करने की घोषणा

21 मई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल से मिले थे।
इसके पहले नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि वो अध्यादेश के विरोध में हैं और आम आदमी पार्टी का समर्थन करेंगे। 21 मई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल से मिले थे। नीतीश ने अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश को संविधान के खिलाफ बताया।
नीतीश ने कहा- एक चुनी हुई सरकार को दी गई शक्तियां कैसे छीनी जा सकती हैं? यह संविधान के खिलाफ है। हम अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं। हम देश के सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।
केजरीवाल ने मांगा है विपक्ष का साथ
केजरीवाल ने कहा- केंद्र सरकार इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए राज्यसभा में लाती है तो विपक्ष हमारा साथ दे। विपक्ष एक साथ होगा तो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा खत्म हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश के विरोध में वे देशभर की विपक्षी पार्टियों से मिलकर समर्थन मांगेंगे। 23 मई को वे कोलकाता में ममता बनर्जी से मिलेंगे। 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में ही शरद पवार से मिलेंगे। इसके बाद वे अन्य विपक्षी दलों से सिलसिलेवार मुलाकात करेंगे।
दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच पावर पॉलिटिक्स को लेकर कब क्या हुआ…

11 मई: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
12 मई: केजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया, LG ने रोका
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले के एक दिन बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे को हटा दिया। दिल्ली सरकार का आरोप है कि LG ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। LG सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसा कर रहे हैं। यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है। हालांकि बाद में LG ने फाइल पास कर दी। पूरी खबर पढ़ें…
19 मई: केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें…
20 मई: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर उपराज्यपाल (LG) और अरविंद केजरीवाल सरकार की लड़ाई एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाने के ठीक एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची। केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की। पढ़ें पूरी खबर…

शुक्रवार को दिन भर दिल्ली सरकार के कई मंत्रियों ने LG ऑफिस जाकर उनसे मिलने के लिए हंगामा किया।
नीतीश कर्नाटक गए, कांग्रेस ने केजरीवाल को नहीं बुलाया

कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण में नौ विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे। इनमें महबूबा मुफ्ती (PDP), नीतीश कुमार (JDU), तेजस्वी यादव (RJD), डी राजा और सीताराम येचुरी (लेफ्ट), एमके स्टालिन (DMK), शरद पवार (NCP), फारूख अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), कमल हासन (मक्कल नीधि माईम) शामिल हैं।
नीतीश-केजरीवाल की मीटिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस ने 20 मई को कर्नाटक में सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश को तो बुलाया था, लेकिन केजरीवाल को न्योता नहीं दिया। नीतीश 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। कांग्रेस-AAP की तनातनी इस कवायद में मुश्किलें खड़ी कर सकती है।