पृथ्वी के चक्कर लगा रहा एस्टेरॉयड हो सकता है चांद का टुकड़ा

अगर आपको लगता है कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली एकमात्र चीज है, तो ये सच नहीं है. कुछ छोटे अर्ध-उपग्रह भी हैं, जो पृथ्वी के चक्कर लगाते हैं. वैज्ञानिक इन्हें क्वासी सैटेलाइट (Quasi-satellites) कहते हैं. इन्हीं में से एक है कामो’ओलेवा (Kamo’oalewa), जो एक नियर-अर्थ एस्टेरॉयड है. यह कुछ मायनों में चंद्रमा जैसा ही है, तो क्या इसे चांद का टुकड़ा कहा जा सकता है?

कामो’ओलेवा को 2016 में हलेकला ऑब्ज़रवेटरी (Haleakala Observatory) में Pan-STARRS के साथ खोजा गया था. इसकी खास बात यह है कि इसकी ऑर्बिट समय के साथ बदलती रहती है. लेकिन बदलने पर भी, यह हमेशा पृथ्वी के पास ही रहता है.

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कामो’ओलेवा एक नियर-अर्थ एस्टेरॉयड है, जो कुछ मायनों में चंद्रमा जैसा है (सांकेतिक तस्वीर: Getty)

इसकी सतह भी अलग है. सिलिकेट की मौजूदगी की वजह से यह चंद्रमा की तरह ही प्रकाश को परावर्तित करता है. कामो’ओलेवा अकेला क्वासी सैटेलाइट नहीं है और न ही अपोलो ग्रुप में अकेला है. यह उनमें सबसे छोटा, सबसे करीब और सबसे स्थिर है. 

ये चंद्रमा का ही एक हिस्सा हो सकता है, इसका पता लगाने के लिए एक शोध किया गया है. इस शोध के मुख्य लेखक एरिजोना यूनिवर्सिटी में भौतिकी विभाग से जोस डैनियल कास्त्रो-सिसनेरोस (Jose Daniel Castro-Cisneros) हैं.

कभी-कभी, सोलर सिस्टम में छोटे पिंड सूर्यकेंद्रित कक्षाओं (Heliocentric orbits) में नहीं चलते. इसके बजाय,ऑर्बिटल रेज़ोनेंस की वजह से वे किसी विशाल ग्रह की ऑर्बिट शेयर करते हैं. इन्हें को-ऑर्बिटल ऑब्जेक्ट कहा जाता है और ज्यूपिटर ट्रोजन (Jupiter Trojans) ऐसे ही ऑब्जेक्टस का एक समूह है. को-ऑर्बिटल्स खास तौर पर तीन तरह के होते हैं- ट्रोजन/टैडपोल (T), हॉर्सशू (HS), और रेट्रोगेट सैटेलाइट /क्वासी सैटेलाइट(QS). इस शोध में HS और QS अहम थे.

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यह चांद का टुकड़ा हो सकता है, इसपर शोध किया जा रहा है (सांकेतिक तस्वीर: Getty)

कामो’ओलेवा पृथ्वी के हिल स्फीयर से दूर है. चंद्रमा हिल स्फीयर के अंदर है. इसकी ऑर्बिट में छोटे-छोटे बदलाव होते हैं, फिरभी यह काफी स्थिर है. लेकिन कामो’ओलेवा स्फीयर के बाहर है और इसकी ऑर्बिट ज़्यादा अंडाकार है. इसे क्वासी सैटेलाइट इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पृथ्वी की तुलना में सूर्य इस पर अधिक खिंचाव डालता है.

पृथ्वी के पास 21 को-ऑर्बिटल ऑब्जेक्ट हैं, जिनमें दो ट्रोजन हैं, 6 QS हैं, और 13 HS. लेकिन कामो’ओलेवा बाकी QS ऑब्जेक्ट से अलग है. लेकिन ऐसा क्या है जो इसे इस ऑर्बिट में रहने के लिए मजबूर करता है?

शोध में कहा गया है कि इसकी पृथ्वी जैसी ऑर्बिट और चंद्रमा जैसे होने को ध्यान में रखते हुए, हमने इस बात पर गौर किया कि हो सकता है कि यह चंद्रमा की ही एक हिस्सा हो, जो किसी उल्कापिंड प्रभाव से सतह से अलग हो गया हो. यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग तरह के वैरिएबल्स के साथ घटनाओं का अनुकरण करने के लिए कंप्यूटर्स का इस्तेमाल किया. शोधकर्ताओं ने टक्करों से चंद्रमा से निकले कणों को मॉडल किया.

Asteroid Found Orbiting Earth Might Be a Chunk of The Moon https://t.co/2BoaXSjczI

— ScienceAlert (@ScienceAlert) May 4, 2023

उनके सिमुलेशन में, ज़्यादातर कणों ने पृथ्वी और उसके चंद्रमा के आसपास के क्षेत्र को छोड़ दिया और सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में संक्रमण करने लगे. सूर्य का द्रव्यमान सौर मंडल की हर चीज को प्रभावित करता है. लेकिन कुछ ही कण हेलियोसेंट्रिक ऑर्बिट में प्रवेश नहीं करते, बल्कि वे कामोओलेवा की तरह ही ऑर्बिट लेते हैं.

इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर मौजूद क्रेटरों का भी अध्ययन किया गया और उसकी तुलना भी कामोओलेवा से की गई. लेखकों का कहना है कि भविष्य में अभी यह पता लगाना होगा कि चंद्रमा पर बना कौन सा खास गड्ढा कामो’ओलेवा का स्रोत हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए हमें एक अलग शोध करना होगा. अगर वैज्ञानिक यह साबित कर दें कि कामोओलेवा चंद्रमा का एक हिस्सा है, तो इससे कुछ दिलचस्प संभावनाएं खुलेंगी. 

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