विधानसभा चुनाव:गहलोत कहते रह गए, भाजपा ने मप्र और छत्तीसगढ़ में प्रत्याशी घोषित कर दिए
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भास्कर ओपिनियनविधानसभा चुनाव:गहलोत कहते रह गए, भाजपा ने मप्र और छत्तीसगढ़ में प्रत्याशी घोषित कर दिए

4 दिन पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि कांग्रेस राजस्थान में कम से कम सौ प्रत्याशियों की घोषणा सितंबर में कर देगी। सितंबर तो जब आएगा तब देखी जाएगी, लेकिन भाजपा ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगस्त में ही धमाका कर दिया।

गुरुवार को भाजपा ने मप्र में अपने 39 और छत्तीसगढ़ में 21 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। “पहले मारे सो मीर” की शैली अपनाते हुए भाजपा ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने उन्हीं के भतीजे विजय बघेल को विधानसभा प्रत्याशी बनाया है। हो सकता है भाजपा इसे तुरुप का इक्का समझ रही हो, लेकिन ऐसा है नहीं।

बहरहाल, चुनाव से तीन- साढ़े तीन महीने पहले प्रत्याशी तय करने की नई रणनीति अगर जारी रहती है तो यह वोटर के लिए भी काफ़ी सुविधाजनक साबित होगी। मतदाताओं को उस प्रत्याशी को परखने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

कहा जा सकता है कि सौ, दो सौ या इससे अधिक विधानसभा सीटों वाले प्रदेशों में पैंतीस-चालीस सीटों पर तीन महीने पहले प्रत्याशी घोषित करना कौन सी बड़ी बात है? लेकिन सवाल इच्छा शक्ति का है। सही है, इतने बड़े प्रदेशों में कुछ सीटें तो तय ही रहती हैं और उन्हें बदलना या हिलाना- डुलाना मुश्किल होता है। इसलिए जल्दी घोषणा करना कोई जादू नहीं है।

आख़िर कुछ प्रत्याशी तो नामांकन की आख़िरी तारीख़ तक भी घोषित किए जाते रहे हैं और यह सब इस बार भी होगा। फिर भी तीन महीने पहले कुछ प्रत्याशियों की घोषणा स्वच्छ राजनीति की दिशा में एक प्रयास तो माना ही जा सकता है।

दरअसल, मप्र और छत्तीसगढ़ में प्रत्याशी घोषित कर भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस को उकसाने का काम किया है। गहलोत अगर राजस्थान में सौ प्रत्याशी जल्द घोषित करते हैं तो भाजपा को अपना गणित भिड़ाना थोड़ा आसान हो जाएगा।

राजस्थान में कैंपेन कमेटी का मुखिया वसुंधरा को बनाया जा सकता है।

राजस्थान में कैंपेन कमेटी का मुखिया वसुंधरा को बनाया जा सकता है।

किसी भी चुनाव में पार्टी की तीन कमेटियां महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पहली चुनाव प्रबंध समिति, दूसरी घोषणापत्र या संकल्प पत्र समिति और तीसरी चुनाव अभियान समिति या कैंपेन कमेटी। राजस्थान में भाजपा द्वारा पहली दो समितियों की घोषणा गुरुवार को की जा चुकी है और इन दोनों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम नहीं है।

सबसे महत्वपूर्ण समझी जाने वाली कैंपेन कमेटी में शायद उनका नाम पक्का समझा जा रहा है। गहलोत को चौंकाने के लिए शायद इस कमेटी के नामों की घोषणा रोक ली गई है और गहलोत के लिए चौंकाने वाला नाम एक ही है, वह है वसुंधरा राजे।

लगता है इस कमेटी में वसुंधरा और उनके ज़्यादातर समर्थकों को स्थान मिलेगा क्योंकि बाक़ी तमाम उछल-कूद करने वाले नेता पहली दो कमेटियों में समाहित कर लिए गए हैं। देखना यह है कि तीसरी कमेटी में किसका नाम सबसे ऊपर होता है, क्योंकि राजस्थान में भाजपा का भविष्य इसी नाम पर निर्भर होगा।

ऐसा समझा जा रहा है कि इस कमेटी का मुखिया वसुंधरा को बनाया गया तो राज्य में भाजपा की जीत पक्की हो सकती है।

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