इम्फाल2 महीने पहले
- कॉपी लिंक

प्रदर्शनकारियों ने चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका इलाके में कार्यक्रम स्थल पर लगी कुर्सियां तोड़ दी और मंच को आग के हवाले कर दिया।
मणिपुर के चुराचांदपुर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने सभा स्थल पर जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की है। दरअसल, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शुक्रवार को चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका इलाके में एक जिम और खेल सुविधा केंद्र का उद्घाटन करने वाले थे। उससे पहले ही गुरुवार रात करीब 9 बजे प्रदर्शनकारियों ने कुर्सियां तोड़ डालीं और मंच फूंक दिया। हालांकि सीएम बीरेन ने घटना को लेकर कहा कि, हम दोषियों के खिलाफ एक्शन लेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा को अंजाम देने वाली भीड़ का नेतृत्व स्वदेशी जनजातीय नेताओं का मंच कर रहा है। यह समूह भाजपा नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार के एक फैसले का विरोध कर रहा है। फैसले के तहत आदिवासियों के लिए आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों का सर्वे कराया जाना है। इस आदेश के बहाने जनजातीय मंच राज्य सरकार पर चर्चों को गिराने का आरोप लगा रहा है।
पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। प्रशासन ने हिंसा को देखते हुए चुराचांदपुर जिले में धारा 144 लगा दी है और इंटरनेट बंद कर दिया है। इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है। भीड़ का हमला ऐसे समय में हुआ, जब आदिवासी नेताओं के एक मंच ने सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक पूरे चुराचांदपुर में बंद का ऐलान किया था।

चुराचांदपुर जिले में भीड़ ने एक जिम में आग लगा दी। एक प्रदर्शनकारी वहां एक्सरसाइज करता रहा।
CM के प्रोग्राम पर संशय, प्रशासन बोला- शांति भंग होने की आशंका
चुराचंदपुर जिले के ADM एस थिएनलाटजॉय गंगटे ने कहा कि जिले में शांति भंग होने की आशंका और संपत्ति के लिए गंभीर खतरे को देखते हुए बड़ी सभा पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि CM का कार्यक्रम आज होगा या नहीं प्रशासन ने इस पर कुछ नहीं कहा।
11 अप्रैल को सरकार ने पूर्वी इंफाल में 3 चर्च गिराए थे
मणिपुर सरकार ने अवैध निर्माण के आरोप में 11 अप्रैल को पूर्वी इंफाल में तीन चर्चों को गिरा दिया था। इनमें इवेंजेलिकल बैपटिस्ट कन्वेंशन चर्च, इवेंजेलिकल लूथरन चर्च और कैथोलिक होली स्पिरिट चर्च शामिल था। चर्च गिराए जाने के आदेश के खिलाफ मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था। चर्च कोर्ट में यह साबित करने में असफल रहे थे कि उन्होंने निर्माण के लिए प्रशासन से मंजूरी ली थी।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कुर्सियों को तोड़कर उनमें आग लगा दी।
13 जगहों पर चर्च और गैरेज बनाकर कब्जे का आरोप था
इससे पहले 24 दिसंबर, 2020 को पोरोमपत के अनुविभागीय अधिकारी सनौजम सुरचंद्र सिंह ने एक बेदखली नोटिस जारी कर आरोप लगाया था कि 13 स्थानों पर चर्च और गैरेज बनाकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। 2021 में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने सरकार को चिट्ठी लिखकर पूर्वी इम्फाल की आदिवासी कॉलोनी में बने 8 चर्चों को खाली कराने के आदेश को वापस लेने की मांग की थी।
आपने खबर पढ़ी, अब इस पोल में शामिल होकर अपनी राय बताएं…
ये खबरें भी पढ़ें…
असम के विद्रोही-समूह DNLA ने शांति समझौते पर साइन किए:गृहमंत्री बोले- अब राज्य में कोई आदिवासी उग्रवादी समूह नहीं

असम के विद्रोही समूह डिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (DNLA) गुरुवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे। शाह ने कहा कि असम में अब कोई आदिवासी उग्रवादी समूह नहीं है। असम में सभी आदिवासी उग्रवादी समूह मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर…
कालियागंज में भीड़ ने पुलिस को पीटा:थाना जलाया, बचने के लिए पलंग के नीचे छिपे पुलिस कर्मियों को मारा

पश्चिम बंगाल में उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज थाने की पुलिस को बेरहमी से पीटे जाने का वीडियो सामने आया था। दरअसल, 21 अप्रैल को 17 साल की आदिवासी नाबालिग का नहर में शव मिला था। राजबंशी समुदाय का आरोप है रेप के बाद हत्या की गई, जबकि पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रेप का जिक्र नहीं है। पुलिस के विरोध में समुदाय के लोग मंगलवार को थाने पर पहुंचे थे। भीड़ हिंसक हो गई। पुलिसवालों को पीटा और थाने में आग लगा दी थी। यहां पढ़ें पूरी खबर…