अमृतपाल का नशा छुड़ाओ केंद्र पड़ा सुनसान:बिना डॉक्टर के चल रहा था; यहां ज्यादा युवक मालवा के थे; करोड़ों की फंडिंग की जांच

अमृतपाल का नशा छुड़ाओ केंद्र पड़ा सुनसान:बिना डॉक्टर के चल रहा था; यहां ज्यादा युवक मालवा के थे; करोड़ों की फंडिंग की जांच

अमृतसर2 महीने पहले

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अमृतपाल सिंह के साथ दिखने वाली भीड़ नशा छुड़ाओ केंद्र से ही साथ जुड़ जाती थी, अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है। - Dainik Bhaskar

अमृतपाल सिंह के साथ दिखने वाली भीड़ नशा छुड़ाओ केंद्र से ही साथ जुड़ जाती थी, अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है।

वारिस पंजाब दे का मुखी अमृतपाल सिंह गिरफ्तारी के बाद से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। उसने नशे को ढाल बनाकर पंजाब के युवाओं को अपने साथ जोड़ना शुरू किया था। अमृतसर में रईया के पास अपने गांव जल्लूपुर खेड़ा में उसने नशा छुड़ाओ केंद्र भी खोला, जिसकी एवज में उसने करोड़ों रुपए इकट्‌ठे किए।

अमृतपाल ने यह नशा छुड़ाओ केंद्र गांव की फिरनी (बाहरी हिस्से) में बने बाबा काला महर गुरुद्वारे में शुरू किया था। पुलिस जांच में सामने आया कि अमृतपाल सिंह का यह नशा छुड़ाओ केंद्र अवैध था। इस केंद्र को चलाने के लिए कोई डॉक्टर ही नहीं रखा गया था। इतना ही नहीं, सिर्फ एक फार्मासिस्ट पूरे केंद्र को संभाल रहा था और अपने अनुसार ही यहां आने वालों को दवा देता था।

इसी जगह अमृतपाल सिंह ने अपना डी-एडिक्शन सेंटर खोला था।

इसी जगह अमृतपाल सिंह ने अपना डी-एडिक्शन सेंटर खोला था।

इतना ही नहीं, अमृतपाल को नशा छुड़ाओं केंद्र के नाम पर करोड़ों रुपए फंडिंग हुई थी। जिसकी जांच अब पंजाब पुलिस ने करनी शुरू कर दी है। यह पैसा कहां से आ रहा था, किस जरिए से आ रहा था और कौन भेज रहा था, इसका पूरा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।

नशा छुड़ाओ केंद्र में 90% युवा मालवा से थे
गांव के लोग अमृतपाल के बारे में कैमरे के सामने बात करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन कैमरा बंद करने के बाद हैरान करने वाली बातें बताते हैं। लोगों ने बताया कि अमृतपाल सिंह ने नशा छुड़ाने के लिए जिन युवाओं को गुरुद्वारे में ठहराया था, उनमें से 90 प्रतिशत मालवा से ही थे। उनके गांव से तो एक-दो से अधिक युवा नहीं थे। माझे के तो युवा दिखते ही नहीं थे। हैरानी की बात थी कि वे युवा यहां इतनी दूर अमृतपाल के पास आकर ही क्यों नशा छोड़ना चाहते थे।

नशा छुड़ाओ केंद्र में उन्हें फ्रूट, ड्राई-फ्रूट और दूध आदि ही पीते देखा जाता था। गांव वाले भी हैरान थे कि इतना फंड आ कहां से रहा है।

लोगों ने जताया था ऐतराज
गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि अमृतपाल सिंह ने जिन युवाओं को नशा छुड़ाओ केंद्र में ठहराया था, वे गांव के चक्कर लगाते रहते थे। बाहरी व्यक्तियों के गांव में इस तरह घूमने पर लोगों ने ऐतराज जताया था। जिसके बाद ही अमृतपाल उसे गांव से बाहर ले जाने पर विचार कर रहा था।

गुरुद्वारे की दीवारों पर वारिस पंजाब दे और दीप सिद्धू के लगे पोस्टर।

गुरुद्वारे की दीवारों पर वारिस पंजाब दे और दीप सिद्धू के लगे पोस्टर।

मोगा शिफ्ट करने की तैयारी में था अमृतपाल
इस नशा केंद्र को अमृतपाल सिंह मोगा में गांव जोगेवाला कें गुरुद्वारा साहिब में शिफ्ट करने की तैयारी में था। 15 फरवरी से उसने यह तैयारी शुरू कर ली थी, बोर्ड भी लगा दिए गए थे। लेकिन दो दिन बाद ही अमृतपाल सिंह के साथी तूफान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

23 अप्रैल को अमृतपाल सिंह ने अपने साथियों को साथ लेकर अजनाला थाने पर हमला बोल दिया। तनाव की स्थिति में यह नशा छुड़ाओ केंद्र पूरी तरह से शिफ्ट नहीं हो पाया था। अब अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह पूरी तरह से बंद हो चुका है।

सेंटर में होता था ब्रेन वॉश
अमृतपाल सिंह के डी-एडिक्शन सेंटर पर यह पहला ऑब्जेक्शन नहीं है। पंजाब पुलिस पहले भी अमृतपाल सिंह पर इस सेंटर को लेकर आरोप लगाती रही है। पुलिस का मानना है कि अमृतपाल सिंह यहां युवाओं के ब्रेन वॉश कर रहा था। उन्हें खालिस्तान मूवमेंट के लिए तैयार कर रहा था। इतना ही नहीं, उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही थी और मानव बम बनाने के लिए भी तैयार किया जा रहा था।

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