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इम्फाल24 दिन पहले
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रविवार को इंफाल में हुई हिंसा के बाद की तस्वीरें। एक महीने से जारी हिंसा में यहां अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर 3 मई से हिंसा जारी है। रविवार को एक बार फिर राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में हिंसक झड़प हुई। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की जान गई है।
26 दिनों से जारी हिंसा के बीच पुलिस ने रविवार तक 40 लोगों का एनकाउंटर भी किया है। राज्य के CM एन बीरेन सिंह ने इन एनकाउंटर की पुष्टि की है।
उन्होंने एनकाउंटर में मारे गए लोगों को ‘मिलिटेंट’ बताया है। CM ने कहा- ये लोग आम नागरिकों के खिलाफ एम-16, एके-47 असॉल्ट राइफलों और स्नाइपर गन का इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार रात मणिपुर पहुंच गए हैं।

सेना के मुताबिक, रविवार को इंफाल के विभिन्न इलाकों से 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पांच 12 बोर डबल बैरल और तीन सिंगल बैरल राइफलें और गोला बारूद बरामद किया गया है। इसके अलावा न्यू चेकॉन में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनसे एक इंसास राइफल, 60 राउंड गोली, चीनी हथगोला और डेटोनेटर मिला है।
मैतेई समुदाय को ST का दर्जा देने के खिलाफ प्रदर्शन
मणिपुर में कुकी जनजाति के लोग मैतेई समुदाय को ST का दर्जा देने के खिलाफ 3 मई से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। चूराचांदपुर में 3 मई की रात प्रदर्शन के दौरान दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे से भिड़ गए थे।
चूराचांदपुर में ही 4 मई को CM एन बीरेन सिंह का एक कार्यक्रम तय था। इसकी तैयारियों को लेकर मंच और पंडाल लगाए गए थे, जिसे प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया।

28 मई को इंफाल में हिंसा के बाद कुछ इलाकों में आगजनी की भी घटनाएं हुईं।
31 मई तक इंटरनेट बैन, 40 हजार लोग पलायन कर चुके
इसके बाद राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ती गई। केंद्र सरकार को राज्य में सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा। कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया, जो अब तक जारी है। 31 मई तक इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है। राज्य से अब तक 40 हजार लोग पलायन कर चुके हैं।

इंफाल में रविवार को हुई हिंसा के बाद वहां बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किया गया है।
RAF के तीन जवान गिरफ्तार
मणिपुर पुलिस ने शनिवार को राज्य में तैनात रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के तीन जवानों को गिरफ्तार किया था। जवानों पर इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक मीट की दुकान में आग लगाने का प्रयास करने का आरोप है।
गृह मंत्रालय ने बताया कि RAF के सोमदेव आर्य, कुलदीप सिंह और प्रदीप कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

आर्मी चीफ मनोज पांडे ने शनिवार को राज भवन में मणिपुर की गर्वनर अनसुइया उइके से मुलाकात की।
4 पॉइंट्स में जानिए, पूरा विवाद…
1. मणिपुर में आधी आबादी मैतेई समुदाय की
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है।
हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं।
2. मैतेई समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
3. नगा-कुकी जनजाति आरक्षण के विरोध में
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं।
इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है।
नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
4. हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा
मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी गई
हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच केस की सुनवाई कर रही है। बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट में पेंडिंग रिजर्वेशन के मुद्दे में नहीं जाएंगे। कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।
कोर्ट में मामले में राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि हिंसा के बाद क्या सुरक्षा मुहैया कराई गई? क्या रिलीफ दिया गया और पुनर्वास के बारे में बताइए? जिस पर छुट्टियों के बाद सुनवाई होगी।
अब पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दीजिए
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इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय का दबदबा है। ये ज्यादातर हिंदू होते हैं। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53% है। मणिपुर के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। पढ़ें पूरी खबर…