नई दिल्ली2 महीने पहले
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भुवनेश्वर में 2022 में मास्टर कैंटीन चौराहे से राम मंदिर चौक तक प्राइड परेड निकाली गई थी, तब सैकड़ों LGBTQ समुदाय के लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था।
सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों की शादी को कानूनी मान्यता न दी जाए तो इससे उन्हें क्या-क्या फायदा होगा। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।
इससे पहले केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे।
इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा।
सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है।
स्पेशल मैरिज एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट

- सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि अगर ज्यूडीशियरी इसमें एंट्री करती है, तो यह एक कानूनी मुद्दा बन जाएगा।
- सरकार बताए कि वह इस संबंध में क्या करने का इरादा रखती है और कैसे वह ऐसे लोगों की सुरक्षा और कल्याण के काम कर रही है।
- CJI ने यह भी कहा कि समलैंगिकों को समाज से बहिष्कृत नहीं किया जा सकता है।
- जस्टिस नरसिम्हा ने कहा- जब हम मान्यता कहते हैं, तो यह हमेशा शादी के रूप में मान्यता नहीं हो सकती है। मान्यता का मतलब है, जो उन्हें कुछ लाभों के लिए हकदार बनाए।
- जस्टिस भट बोले- मान्यता कुछ ऐसी होनी चाहिए जो उन्हें लाभ दे।

SG तुषार मेहता की दलीलें…
- स्पेशल मैरिज एक्ट केवल अपोजिट जेंडर वालों के लिए है। अलग आस्थाओं वालों के लिए इसे लाया गया। सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं कि नए मकसद के साथ नई क्लास बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी।
- सरकार को किसी रिश्ते को मान्यता देने में धीमा चलना होगा, क्योंकि इस स्थिति में वह सामाजिक और निजी रिश्ते के मंच पर होता है। देखा जाए तो अपोजिट जेंडरवालों में शादियों को नियंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन समाज को लगता है कि आप लोगों को किसी भी उम्र में और कई बार शादी की इजाजत नहीं दे सकते। ऐसी कई चीजें हैं।
- अपोजिट जेंडर वाले समलैंगिकों को दिए जाने वाले बेनिफिट की मांग सकते हैं। यह भी हो सकता है कि अपोजिट जेंडर वाले शादीशुदा अदालत में आएंगे और कहेंगे कि मुझे वही लाभ मिले जो समलैंगिक जोड़ों को मिलता है, क्योंकि मैं भीतर से हेट्रोसेक्शुअल (विषमलैंगिक) हो सकता हूं, लेकिन मुझे कुछ और लगता है…।
- पांच साल बाद क्या होगा, कल्पना करें। सेक्शुअल ऑटोनॉमी का हवाला देकर कोई अनाचार पर रोक लगाने वाले प्रावधानों को ही कोर्ट में चुनौती दे सकता है। इस पर CJI ने कहा कि ये तर्कसंगत नहीं है। कोई भी अदालत कभी भी इसका समर्थन नहीं करेगी।
- समलैंगिक विवाह की मान्यता की मांग करने वाले स्पेशल मैरिज एक्ट को दोबारा लिखवाना चाहते हैं। याचिकाकर्ता अपनी जरूरत देख रहे हैं। क्या कोई एक्ट ऐसा हो सकता है कि एक तरफ वह अपोजिट जेंडर पर लागू हो और दूसरी तरफ समलैंगिकों पर। इसका कोई मतलब नहीं हो सकता।

सुनवाई से अलग मामले से जुड़े आज के अपडेट्स
- रिजिजू बोले- सुप्रीम कोर्ट जनता की तरफ से फैसले लेने का मंच नहीं: बुधवार को एक इवेंट में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि समलैंगिक विवाह मान्यता के मसले को संसद पर छोड़ देना चाहिए। अदालतें इस तरह के केस निपटाने का सही प्लेटफॉर्म नहीं है। सुप्रीम कोर्ट केवल कमियों को दूर कर सकता है, लेकिन ऐसे फैसले नहीं ले सकता, जिससे देश का हर नागरिक प्रभावित हो। क्योंकि अगर लोग नहीं चाहते तो चीजों को थोपा नहीं जा सकता है।
- बार काउंसिल के विरोध में उतरे LGBTQI के 30 ग्रुप: इधर समलैंगिक विवाह की मान्यता की सुनवाई के बीच पूरे भारत के लॉ स्कूलों के 600 से ज्यादा स्टूडेंट्स और 30 से अधिक LGBTQIA+ ग्रुपों ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के बयानों की निंदा की। इन सभी BCI के बयान को विचित्र बताया है। बार काउंसिल ने कहा था कि 99% लोग सेम सेक्स मैरिज की मान्यता के खिलाफ हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाने का काम संसद पर छोड़ देना चाहिए।
इस केस में पिछली 5 सुनवाई से जुड़ी खबरें…
पांचवें दिन की सुनवाई- केंद्र का जवाब शादी की नई परिभाषा लिखने मजबूर नहीं कर सकते

सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांचवे दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस दौरान एक याचिकाकर्ता ने कहा कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता न देकर आप LGBTQ कपल के बच्चों को पैरेंटहुड (माता-पिता की परवरिश) से वंचित कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
चौथे दिन की सुनवाई- याचिकाकर्ता बोले- G-20 के 12 देशों में इसे मान्यता, हम पीछे नहीं रह सकते

चौथे दिन की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दुनिया के 34 देश सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दे चुके हैं। इनमें G-20 के 12 देश भी शामिल हैं। इस मामले में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि LGBT के अधिकारों को लेकर संसद ने 5 साल में कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं दिया। पढें पूरी खबर…
तीसरे दिन की सुनवाई- CJI ने पूछा- क्या शादी के लिए 2 अलग जेंडर वाले पार्टनर्स होना जरूरी

लगातार तीसरे दिन सुनवाई में करीब 4 घंटे तक तक चली। याचिकाकर्ताओं की ओर से दी गई दलीलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या शादी जैसी संस्था के लिए दो अलग जेंडर वाले पार्टनर्स का होना जरूरी है? सुनवाई खत्म करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने आगे बहस करने के लिए 13 वकीलों के नाम गिनाए थे। पढ़ें पूरी खबर…
दूसरे दिन की सुनवाई- याचिकाकर्ता बोले- शादी का दर्जा आर्थिक सहारा और सुरक्षा देता है

सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली 20 याचिकाओं पर बुधवार को दूसरे दिन की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि सरकार के पास यह डेटा नहीं है, जिससे यह साबित होता हो कि सेम सेक्स मैरिज एलीट क्लास का कॉन्सेप्ट है। पढ़ें पूरी खबर…
पहले दिन की सुनवाई- सरकार ने कहा- मामले पर सुनवाई न हो; CJI बोले- कवायद अगली पीढ़ियों के लिए

केंद्र सरकार ने सेम सेक्स को मान्यता देने का विरोध करते हुए कहा कि हम इस मामले में उलझ रहे हैं। हम तो कह रहे हैं कि इस मामले पर सुनवाई ही ना की जाए। यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की कवायद आने वाली पीढ़ियों के लिए हो रही है। अदालत और संसद इस पर बाद में फैसला करेंगे। पढ़ें पूरी खबर…