
21 जुलाई के अपडेट के मुताबिक, मणिपुर हिंसा में 70 हजार लोग बेघर हुए हैं।
मणिपुर हिंसा के बीच जान बचाने के लिए म्यांमार में शरण लेने वाले 212 मैतेई लोग वापस मणिपुर आ गए हैं। 3 मई को मोरे गांव में हिंसा के बाद ये लोग म्यांमार चले गए थे।
राज्य के CM एन बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया साइट X (पुराना नाम ट्विटर) पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी लोगों के लौट आने पर राहत और कृतज्ञता महसूस कर रहा हूं।
बीरेन सिंह ने आगे कहा कि सभी लोगों को वापस लाने में भारतीय सेना ने समर्पण भाव दिखाया। मैं ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, 3 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर राहुल जैन को उनकी दृढ़ सेवा के लिए धन्यवाद देता हूं।

राज्य में 350 रिलीफ कैंपों में 70 हजार से ज्यादा लोग हैं…

मणिपुर में दो हफ्ते बाद फिर हिंसा, 3 वॉलंटियर्स के शव मिले
मणिपुर में दो हफ्ते बाद 18 अगस्त को सुबह करीब 5.30 बजे उखरुल के लिटन के पास थोवई कुकी गांव में गोलीबारी हुई। जिसमें गांव के 3 वॉलंटियर्स के मारे जाने की खबर है। कुकी समुदाय के संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के स्पोक्सपर्सन का कहना है कि मैतेई लोगों के हमले में मरने वालों में 26 साल का जामखोगिन, 35 साल का थांगखोकाई और 24 साल का हॉलेंसन शामिल है।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, लिटन पुलिस ने बताया कि सुबह-सुबह भारी गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं। इसके बाद पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों में तलाशी ली। जहां से उन्हें तीन लोगों के शव मिले। तीनों के शरीर पर तेज चाकू से चोट के निशान हैं और उनके अंग भी कटे हुए हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

इंफाल में 16 अगस्त को लामलाई केंद्र विलेज वॉलंटियर फोर्स के सदस्यों और ग्वालताबी गांव के विस्थापित लोगों ने वहां से सुरक्षाबलों को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
मणिपुर हिंसा मामलों की जांच CBI के 53 अफसरों की टीम करेगी
मणिपुर हिंसा के मामलों की जांच के लिए CBI ने 16 अगस्त को 53 अफसरों की लिस्ट तैयार की है। इनमें 29 महिलाएं शामिल हैं। इन अफसरों को देशभर के CBI ऑफिस से इकट्ठा किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह अपनी तरह का पहला मोबिलाइजेशन है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में महिला अधिकारियों को एक साथ सर्विस में तैनात किया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादातर जब किसी राज्य में हिंसा से जुड़े कई मामलों को जांच के लिए CBI को सौंपा जाता है, तो एजेंसी जनशक्ति मुहैया करवाने के लिए उसी राज्य पर आश्रित रहती है। लेकिन मणिपुर के मामलों की जांच में CBI लोकल अधिकारियों को शामिल नहीं करना चाहती है, ताकि जांच में पक्षपात के आरोप न लगें। पूरी खबर यहां पढ़ें….

मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा मौतें
मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी।
4 पॉइंट्स में जानिए, मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।