Moon Mission के 20 साल… जानिए चंद्रयान-1, 2 और 3 से इसरो ने क्या हासिल किया?

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Chandrayaan-3: चांद की ओर वैज्ञानिकों का रुझान हमेशा से रहा है. पृथ्वी के बाद अगर किसी उपग्रह को इंसानों के लिए उपयुक्त समझा गया है तो वह चांद है. पृथ्वी के सबसे करीब और ठंडे इस उपग्रह पर कई देशों की स्पेस एजेंसियों ने समय समय पर अपने यान भेजती रही है. इस कड़ी में भारत तीसरी बार चांद पर पहुंच बनाने जा रहा है. चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 के बाद चंद्रयान-3 दुनिया के लिए इसलिए भी जिज्ञासा का विषय बना हुआ है क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव के छोर पर पहुंच बनाने वाला भारत पहला देश होगा. 

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चंद्रयान-1: पहली बार पानी खोजा
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी. 15 अगस्त 2003, यही वह तारीख है जब भारत ने चंद्रयान कार्यक्रम शुरुआत की थी. नवंबर 2003 को भारत सरकार ने पहली बार भारतीय मून मिशन के लिए इसरो के चंद्रयान-1 को मंजूरी दी थी. इसके करीब 5 साल बाद, भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया. उस समय तक केवल चार अन्य देश अमेरिका, रूस, यूरोप और जापान ही चंद्रमा पर मिशन भेजने में कामयाब हो सके थे. ऐसा करने वाला भारत पांचवां देश था.

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14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन तब तक उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी. चंद्रयान-1 का डेटा इस्तेमाल करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी. 28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति कर दी थी, लेकिन यह शुरुआत भर थी. भारत जल्द ही फिर से चांद पर तिरंगा फहराने का मन बना चुका था.

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चंद्रयान-2: आंशिक सफलता
22 जुलाई, 2019 को 14:43 बजे भारत ने चांद की ओर अपना दूसरा कदम बढ़ाया. सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र (एस डी एस सी), श्रीहरिकोटा से जी एस एल वी- मार्क-III एम1 द्वारा चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया. 20 अगस्त को चंद्रयान-2 अतंरिक्ष यान चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया. इस मिशन का पहला मकसद चांद की सतह पर सुरक्षित उतरना और फिर से चांद की सतह पर रोबोट रोवर संचालित करना था लेकिन 02 सितंबर को चांद की ध्रूवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाने समय लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया और सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया.

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चंद्रयान-2 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित उतरने में विफल रहा था. तब इसरो कंट्रोस रूम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसरो पहले समझने की कोशिश करेगा कि क्या हुआ है, उसके बाद अगले कदम पर फैसला करेगा और अब इसरो तीसरी बार चांद पर कदम रखने जा रहा है.

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चंद्रयान-3: पूरी उम्मीद
भारत का तीसरा मून मिशन यानी चंद्रयान-3 आज (23 अगस्त 2023) शाम 05:30 बजे से 06:30 बजे की बीच चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा. पूरे देश में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की सॉफ्ट लैंडिंगी कामना की जा रही है. चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा. चंद्रयान-3, 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. इसे भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया.

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इसरो की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, चांद पर लैंडर मॉड्यूल की प्राइम साइट 4 किमी x 2.4 किमी 69.367621 एस, 32.348126 ई है. भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास चंद्रयान-3 को उतार सकता है. चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यही वजह है कि चंद्रयान 3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा, जिसके लिए विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं.

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दक्षिणी ध्रुव के पास का तापमान अधिकतम 100 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और न्यूनतम माइनस 200 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है. वहां मौजूद पानी ठोस रूप में यानी बर्फ की शक्ल में मिलेगा. चास्टे (ChaSTE) चांद की सतह पर तापमान की जांच करेगा. रंभा (RAMBHA) चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. इल्सा (ILSA) लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा और लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) चांद के डायनेमिक्स को समझने का कोशिश करेगा. 

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Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में लगे LHDAC कैमरे ने हाल ही में चार तस्वीरें भेजी हैं. जिनमें कहीं बड़े गड्ढे तो कहीं मैदानी एरिया नजर आ रहा है. वहां ज्यादातर जमीन उबड़-खाबड़ नजर आ रही है. बता दें कि 1958 से 2023 तक भारत, अमेरिका, रूस, जापान, यूरोपीय संघ, चीन और इजरायल ने कई तरह के मिशन चांद पर भेजे हैं. लगभग सात दशकों में 111 मिशन भेजे गए हैं. जिनमें 66 सफल हुए. 41 फेल हुए और 8 को आंशिक सफलता मिली. भारत चंद्रयान 3 के बाद जल्द ही चंद्रयान-4 की तैयारी शुरू करेगा.

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